इस दिन नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत, जानिए इसकी मुहूर्त और महत्व

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार हर त्रयोदशी तिथि को आता है।

Update: 2021-01-07 04:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार हर त्रयोदशी तिथि को आता है। एक बार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में। नववर्ष 2021 का प​हला प्रदोष व्रत 10 जनवरी दिन रविवार ​को है। उस दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की विधि विधान से पूजा होती है। उस दिन प्रदोष काल के पूजा मुहूर्त का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह पूजा प्रदोष काल में ही होती है।

प्रदोष व्रत का मुहूर्त
जनवरी के पहले प्रदोष व्रत की पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 जनवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 52 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 11 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक है। 11 जनवरी को प्रदोष काल प्राप्त नहीं हो रहा है, ऐसे में नववर्ष 2021 का पहला प्रदोष व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
जनवरी को प्रदोष पूजा के लिए शाम को 02 घंटे 43 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है। यदि आप प्रदोष व्रत हैं तो आपको 10 जनवरी को शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट के मध्य भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए। यह प्रदोष पूजा के लिए उत्तम समय है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधि विधान से पूजा होती है। इस दिन शिव परिवार की आराधना की जाती है तथा शिव चालीसा, ​शिव पुराण और शिव मंत्रों का जाप किया जाता है। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट मिट जाते हैं। सुखी और आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत किया जाता है।
इस वर्ष 2021 में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ने वाले हैं, जिसमें 4 शनि प्रदोष, 5 भौम प्रदोष और 03 सोम प्रदोष व्रत होंगे। शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदोष व्रत सुख, समृद्धि, शांति को प्रदान करने वाला होता है।


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