Papankusha Ekadashi के दिन तुलसी चालीसा का पाठ अवश्य करे

Update: 2024-10-12 09:10 GMT

Papankusha Ekadashi पापांकुशा एकादशी : हिंदू धर्म में पापांकुशा एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत (पापांकुशा एकादशी 2024) को रखने से धन और समृद्धि से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। जीवन की सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इसलिए इस शुभ दिन पर श्रीहरि की विधिपूर्वक पूजा करें और तुलसी चालीसा का पाठ करें। पूजा आरती संपन्न करें. साथ ही श्रीहरि को पंचामृत, ऋतुफल और तुलसी दल भी अर्पित करें। यह सौभाग्य लाता है, इसलिए हम पढ़ते हैं।

।।तुलसी चालीसा।।

।।दोहा।।

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।

नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥

श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।

जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥

॥ चौपाई ॥

धन्य धन्य श्री तुलसी माता। महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥

हरि के प्राणहु से तुम प्यारी। हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥

जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो। तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो॥

हे भगवन्त कन्त मम होहू। दीन जानी जनि छाडाहू छोहु॥

सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी। दीन्हो श्राप कध पर आनी॥

उस अयोग्य वर मांगन हारी। होहू विटप तुम जड़ तनु धारी॥

सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा। करहु वास तुहू नीचन धामा॥

दियो वचन हरि तब तत्काला। सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला॥

समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा। पुजिहौ आस वचन सत मोरा॥

तब गोकुल मह गोप सुदामा। तासु भई तुलसी तू बामा॥

कृष्ण रास लीला के माही। राधे शक्यो प्रेम लखी नाही॥

दियो श्राप तुलसिह तत्काला। नर लोकही तुम जन्महु बाला॥

यो गोप वह दानव राजा। शङ्ख चुड नामक शिर ताजा॥

तुलसी भई तासु की नारी। परम सती गुण रूप अगारी॥

अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ। कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ॥

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