Somvati Amavasya पर पितरों को इन नियमों से दिलाएगा मुक्ति

Update: 2024-08-28 14:11 GMT
Somvati Amavasya ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती हैं पंचांग के अनुसार अभी भाद्रपद मास चल रहा है जो कि सावन के बाद का महीना होता है इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को भाद्रपद मास अमावस्या कहा जाता है वही जो अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या तिथि पर स्नान दान पूजा पाठ और व्रत आदि करना उत्तम माना जाता है इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है।
 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि के देवता पितरों को माना गया है ऐसे में इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना लाभकारी होता है। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृदोष भी समाप्त हो जाता है। इस साल भाद्रपद माह की अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को पड़ रही है सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण ही इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है। इस दिन पूर्वजों का पिंडदान करना उत्तम माना जाता है ऐसा करने से पितृदोष समाप्त हो जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पिंडदान के सही नियम बता रहे हैं।
पिंडदान के सही नियम—
अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने व उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए पिंडदान जरूर करें इसके लिए सबसे पहले स्नान करके साफ और सफेद वस्त्र धारण करें। अब सूर्योदय के समय पिंडदान करें। यह समय उत्तम माना गया है। अब एक साफ स्थान पर पितरों की प्रतिमा स्थापित करें और पितरों को जल अर्पित करें।
 इसके बाद गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें गाय के गोबर से पिंड बनाकर पितरों के नाम का श्राद्ध कर नदी में इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए गरीबों को दान जरूर करें इसे शुभ माना गया है। इस दिन आप तिल, काले तिल, जल, दही, शहद, गाय का दूध, गंगाजल, वस्त्र, अन्न आदि का दान कर सकते हैं।
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