महाशिवरात्रि पर पांच ग्रहों का महासंयोग, जानें महत्व और मुहूर्त

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं।

Update: 2022-02-18 13:54 GMT

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 1 मार्च दिन मंगलवार को है। महाशिवरात्रि पर इस बार दुर्लभ संयोग रहेगा। शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी 28 फरवरी को सोमवार और इसी दिन सोम प्रदोष व्रत रहेगा। एक मार्च को महाशिवरात्रि और दो मार्च को अमावस्या तक विशेष पूजन अनुष्ठान होंगे। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। सबसे खास बात यह रहेगी कि कोरोना संक्रमण थमने से मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर सकेंगे। पर्व को लेकर विशेष आयोजनों की तैयारियों भी शुरू हो गई हैं।

पंच ग्रहों का संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों के योग का महासंयोग और दो महाशुभ योग बन रहे हैं, जो मनोरथ पूर्ण करने वाला माना है। मंगलवार को मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग भी बनेगा, जो पूजा उपासना के लिए विशेष कल्याणकारी है। शिव पूजन का संयोग 28 फरवरी यानी सोमवार को प्रदोष से शुरू होगा। इसके चलते तीन दिनों तक पूजन अनुष्ठान होंगे। एक मार्च को महाशिवरात्रि और दो मार्च को अमावस्या होगी। इस दिन श्रद्धालु पूजन कर अनुष्ठान का समापन करेंगे।
शिव पूजा का शुभ मुहूर्त
शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि एक मार्च मंगलवार की सुबह 3:16 मिनट से दो मार्च की रात एक बजे तक रहेगी। इस दिन पंचग्रहों के संयोग के साथ कई शुभ योग भी बन रहे हैं। शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग बन रहा है और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएग। वहीं परिध योग के बाद से शिव योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही शिव पूजन के समय केदार योग रहेगा।
17 फरवरी से छाएंगे फाल्गुन के रंग
फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि के साथ ही अन्य पर्वा के रंग भी बिखरेंगे। 17 फरवरी से 18 मार्च तक फाल्गुन मास में तीज-त्योहारों के रंग दिखाई देंगे। पंचांग के आखिरी महीने में भगवान विष्णु और भगवान शंकर से जुड़े दो बाद पर्व आते हैं। इनमें कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि और फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु के पूजन का दिन आमलकी एकादशी व्रत होगा। एक मार्च को शिवरात्रि, दो मार्च को फाल्गुन अमावस्या, 4 मार्च को फुलैरा दूज, 14 मार्च को आमलकी एकादशी और 17 मार्च को होलिका दहन होगा। इसके बाद 18 मार्च को रंगों का पर्व मनाया जाएगा।
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