शुक्रवार को मां वैभव लक्ष्मी की पूजा में विशेष मंत्रों का करें जाप...आप पर बनी रहेगी कृपा

आज शुक्रवार है और आज का दिन लक्ष्मी जी को समर्पित होता है। इस दिन वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है। यह लक्ष्मी जी का ही एक स्वरूप हैं।

Update: 2021-02-26 02:28 GMT

आज शुक्रवार है और आज का दिन लक्ष्मी जी को समर्पित होता है। इस दिन वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है। यह लक्ष्मी जी का ही एक स्वरूप हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। व्यक्ति को किसी भी तरह की आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही रुका हुआ धन भी वापस आ जाता है। मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी के व्रत 11 या 21 शुक्रवार तक करने चाहिए। अगर किसी कारण के चलते आप किसी शुक्रवार व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो मां से माफी मांग कर अगले शुक्रवार को व्रत करें। वैभव लक्ष्मी का व्रत स्त्री और पुरुष में से कोई भी रख सकता है। वैभव लक्ष्मी की पूजा के दौरान मां की आरती और मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। इससे घर में सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य, वैभव, पराक्रम और सफलता का वास होता है। आइए पढ़ते हैं श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र और आरती।


श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र:

1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥

2. यत्राभ्याग वदानमान चरणं प्रक्षालनं भोजनं> सत्सेवां पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम धान्यांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता तृरूपा प्रिया:> दृष्टां प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:

वैभव लक्ष्मी जी की आरती:

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।



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