इस व्रत को करने से प्रसन्न होते हैं विघ्नहर्ता, हर संकट होगा दूर

ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। इस तिथि को विनायक चतुर्थी नाम से जाना जाता है।

Update: 2022-06-02 06:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। इस तिथि को विनायक चतुर्थी नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीगणेश सभी संकटों को दूर करने वाले और विघ्नहर्ता हैं। इस दिन विधि विधान से भगवान श्री गणेश की पूजा करने से भक्तों की सभी संकटों से रक्षा होती है। मान्यता है कि इस व्रत को नियमपूर्वक करने से भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा लाल फूल, मोदक, दूर्वा, अक्षत, चंदन, लड्डू, धूप, दीप आदि से करना चाहिए। जो लोग व्रत रखते हैं, उनको व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन व्रत का पारण करें। भगवान श्रीगणेश की पूजा दोपहर में की जाती है। भगवान श्रीगणेश की कृपा से जीवन में शुभता बढ़ती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान करें। इस व्रत में गुलाबी लाल रंग के वस्त्र धारण करें। भगवान श्रीगणेश की पूजा दोपहर तक कर लेनी चाहिए। रात में चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। भगवान श्रीगणेश को मोदक बहुत पसंद हैं। उनकी कृपा पाने के लिए विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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