बेहद श्रेष्ठ मानी जाती है निर्जला एकादशी, इस दिन न करें ये गलतियां
सनातन धर्म में व्रत एवं त्योहारों के जरिए आज भी लोग अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं
सनातन धर्म में व्रत एवं त्योहारों के जरिए आज भी लोग अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं. लोग इन व्रत और त्योहारों से जुड़े नियमों का पालन करके अपने जीवन में सुख एवं समृद्धि लाने की कोशिश करते हैं. इन्हीं में से एक है, निर्जला एकादशी का व्रत, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि अगर कोई निर्जला एकादशी ( Nirjala Ekadashi 2022 ) के व्रत को रख ले, तो उसे साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है. इस विशेष व्रत से कई धार्मिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. कहते हैं कि इस दिन विश्वामित्र ने संसार को गायत्री मंत्र सुनाया था और इसलिए इसे महा एकादशी ( Maha Ekadashi ) भी पुकारा जाता है. इसका संबंध पांडव पुत्र भीम से भी है. कहते हैं कि वे व्रत में भूखे नहीं रह पाते थे, तभी उन्होंने श्रृषि मुनि की सलाह पर निर्जला एकादशी का व्रत रखा और तब से इसे भीमसेनी एकादशी भी पुकारा जाता है.