निर्जला एकादशी व्रत को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, जानिए पूजा मुहूर्त और पारण का सही समय
ज्येष्ठ माह में जल की पूजा करने का महत्व है क्योंकि इस मास में सूर्य देव का तेज प्रचंड होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. ज्येष्ठ माह में जल की पूजा करने का महत्व है क्योंकि इस मास में सूर्य देव का तेज प्रचंड होता है, जिससे गर्मी अधिक पड़ती है. निर्जला एकादशी व्रत को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी व्रत को करने का पुण्य सभी तीर्थों और दानों से भी अधिक बताया गया है. जो लोग निर्जला एकादशी व्रत करते हैं, वे इस व्रत के पुण्य प्रभाव का लाभ पाते हैं. मृत्य के समय उनकी आत्मा को लेने के लिए देवदूत आते हैं, न कि यमदूत. वे आत्मा को पुष्पक विमान पर बैठाकर स्वर्ग लोक ले जाते हैं. निर्जला एकादशी व्रत सभी व्रतों में उत्तम है.
निर्जला एकादशी व्रत 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 10 जून दिन शुक्रवार को प्रात: 07 बजकर 25 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 11 जून शनिवार को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है.
इस साल निर्जला एकादशी व्रत 10 जून शुक्रवार को रखा जाएगा. गौण निर्जला एकादशी व्रत 11 जून शनिवर को रखा जाएगा. गृहस्थ लोगों को 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखना है.
निर्जला एकादशी 2022 मुहूर्त
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन 10 जून को वरीयान् योग सुबह से लेकर रात 11 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र है और रवि योग सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 11 जून को तड़के 03 बजकर 37 मिनट तक है. इसके अलावा दिन का शुभ समय 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है. यह अभिजित मुहूर्त है.
निर्जला एकादशी 2022 पारण समय
जो लोग 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे 11 जून को पारण दोपहर में 01 बजकर 44 मिनट से शाम 04 बजकर 32 मिनट के मध्य कर लें. पारण करने से ही व्रत पूर्ण होता है.
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप मिटते हैं, दुख और कष्ट दूर होते हैं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है. इस दिन जल से भरा कलश, अन्न, जूता आदि का दान करना चाहिए.