जीवन में कभी दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए
एक समय की बात है एक गांव में नरेश नाम का व्यक्ति रहता था. वह बहुत आलसी था और कोई काम नहीं करता था.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | एक समय की बात है एक गांव में नरेश नाम का व्यक्ति रहता था. वह बहुत आलसी था और कोई काम नहीं करता था. बस इधर- उधर से खाने की व्यवस्था कर लेता था. एक दिन वह व्यक्ति जंगल में घूमने गया था और उसने देखा कि एक लोमड़ी लंगडाकर चल रही थीं. उसने सोचा कि ये लोमड़ी जंगल में लगड़ाकर चल रही है और इसका एक पैर भी टूट गया है.
लोमड़ी की हालत देख व्यक्ति ने कहा कि इस हालत में ये लोमड़ी इतने दिनों से जीवित कैसे है और किसी ने इसका शिकार क्यों नहीं किया. इस घने जंगल में खाने के लिए मांस कैसे मिलता होगा. यह बात सोचते हुआ. वह व्यक्ति लोमड़ी के पीछे- पीछे चलने लगा ताकि जान सके कि उसकी खाने की व्यवस्था कैसे होती है.
कुछ देर चलने के बाद व्यक्ति को जंगल में शेर की दहाड़ सुनाई दी. वह डर कर पेड़ पर चढ़कर छिप गया. उसने देखा कि शेर के मुंह में मांस का टुकड़ा है और उसके मुंह से एक टुकड़ा गिर गया.
लोमड़ी ने उस मांस के टुकड़े को खा लिया. यह सब देखने के बाद व्यक्ति ने सोचा कि भगवान कितने दायलु है और लोमड़ी के खाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं. मैं पूजा – पाठ करता हूं. मेरे खाने की व्यवस्था भी वहीं करेंगे. यह बाते सोचकर वो घर पहुंच गया.
घर पहुंचकर वो व्यक्ति बैठ गया और इंतजार करने लगा कि भगवान उसके लिए भी खाने की व्यवस्था करेंगे. ऐसे सोचते- सोचते 4 दिन गुजर गए, लेकिन उसे खाना नहीं मिला. खाना नहीं मिलने की वजह से वह व्यक्ति कमजोर हो गया. तभी उस व्यक्ति के घर के बाहर से संत गुजर रहे थे. संत को देखकर आदमी दौड़ा और उसने अपनी आप बीती सुनाई.
संत ने कहा कि भगवान तुम्हें घटना के माध्यम से एक बड़ी सीख देना चाहते थे कि तुम्हें लोमड़ी नहीं, शेर की तरह बनना है. तुम्हें दूसरों पर निर्भर नहीं होना है. आलसी व्यक्ति संत की बात समझ गया और उस दिन के बाद वह आलस छोड़ कर कर्मठ व्यक्ति बन गया.