Navratri 2024:पूजा के दौरान पढ़ें ये व्रत कथा, मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

Update: 2024-10-03 01:34 GMT
Navratri 2024: नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और इस पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर हुआ था. इसलिए इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. मां का यह स्वरूप करुणा और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. मां शैलपुत्री के चेहरे पर तेज दिखाई देता है. मां शैलपुत्री के बाएं हाथ में कमल का फूल और दाएं हाथ में त्रिशूल है, इनका वाहन वृषभ है. मां अपने भक्तों का उद्धार कर दुखों का निवारण करती हैं|
माता शैलपुत्री की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ करवाने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेज दिया, अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान शिव को नहीं बुलाया. देवी सती उस यज्ञ में जाने के लिए बेचैन थीं, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें बिना निमंत्रण के वहां जाने से मना किया. लेकिन सती माता नहीं मानी और अपनी हठ पर अड़ी रहीं. इसके बाद महादेव को विवश होकर उन्हें भेजना पड़ा|
सती जब अपने पिता प्रजापति दक्ष के यहां पहुंची तो वहां किसी ने भी उनसे प्रेमपूर्वक व्यवहार नहीं किया. उनका और भगवान शिव का उपहास उड़ाया. इस व्यवहार से देवी सती बहुत आहत हुईं. वो अपने पति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर पाईं और क्रोधवश वहां स्थित यज्ञ कुंड में बैठ गईं. जब शिव को ये बात पता चली तो वे दुख और क्रोध की ज्वाला में जलते हुए वहां पहुंचे और यज्ञ को ध्वस्त कर दिया. कहा जाता है कि इसके बाद देवी सती ने ही हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. हिमालय की पुत्री होने के नाते देवी पार्वती को शैलपुत्री के नाम से जाना गया|
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