आषाढ़ पूर्णिमा 13 जुलाई दिन बुधवार को है. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadh Purnima) के दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन व्यास जयंती मनाते हैं और व्यास पूजा करते हैं. व्यास जी ने वेदों का विभाजन किया, पुराणों की रचना की, इस वजह से आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) मनाते हैं. इस दिन गुरुजनों की पूजा करने का विधान है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप मिटते हैं और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा के स्नान-दान मुहूर्त और पूजा के महत्व के बारे में.
आषाढ़ पूर्णिमा 2022
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 12 जुलाई, मंगलवार, शाम 06:30 बजे से
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि का समापन: 13 जुलाई, बुधवार, दोपहर 02:36 बजे पर
इन्द्र योग: 13 जुलाई, दोपहर 12:45 बजे तक
चन्द्रोदय समय: 13 जुलाई, शाम 07:20 बज
आषाढ़ पूर्णिमा 2022 स्नान-दान मुहूर्त
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान इन्द्र योग में करें. इसी योग में दान भी होगा. इन्द्र योग को धार्मिक कार्यों की दृष्टि से शुभ माना जाता है. इस दिन भद्रा सुबह 05 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक है. इस दिन का राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक है.
आषाढ़ पूर्णिमा पर पूजा पाठ
1. आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर आप भगवान विष्णु की पूजा करें. इस समय भगवान विष्णु योग निद्रा में होंगे. भगवान विष्णु की कृपा से आपके कार्य सफल होंगे और मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
2. इस दिन आप वेद व्यास जी की पूजा करें. उन्होंने सृष्टि को ज्ञान प्रदान करने के लिए पुराणों की रचना की.
3. आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा है. इस दिन आपको अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए. इससे आपकी उन्नति होगी. यदि कोई गुरु नहीं हैं, तो भगवान विष्णु की आराधना करें
4. पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख, वैभव आदि में वृद्धि होती है.
5. आज की रात चंद्र देव की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त चंद्र दोष दूर होता है.
6. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा का आयोजन करने से सुख और शांति में बढ़ोत्तरी होती है.