सर्वपितृ अमावस्या पर जरूर करें पंचबलि कर्म, पितरों होते हैं तृप्त
पितर पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है।
पितर पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है।इस दिन को महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल अमावस्या तिथि के दिन 11 साल बाद गजछाया योग का निर्माण हो रहा है। ये योग श्राद्ध और तर्पण के लिए बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध और तर्पण के साथ पंचबलि कर्म जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करती है।
पंचबलि कर्म
पंचबलि कर्म का अर्थ है पितर पक्ष में पितरों के निमित्त पांच प्राणियों को भोजन कराना। मान्यता है कि पितर पक्ष में पंचबलि कर्म का भाग पितरों को सीधा प्राप्त होता है। पंचबली में गो बलि, श्वान बलि, काक बलि, पिपलादि बलि और देवबलि का विधान है। श्राद्ध के दिन या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पंचबलि कर्म करना श्रेयस्कर माना जाता है। इस दिन कुतुप बेला में पंचबलि कर्म का विशेष महत्व है।
1-गौ बलि - गोबलि में गाय को घर से पश्चिम दिशा में महुआ या पलाश के पत्ते पर रखकर भोज देना चाहिए। भोज देते हुए 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम करें।
2-श्वान बलि – संस्कृत शब्द श्वान का अर्थ होता है कुत्ता। श्वान बलि में पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
3-काक बलि – काक बलि अर्थात कौए को भोजन करना। श्राद्ध के दिन कौऐ के लिए भोजन निकाल कर छत पर या भूमि पर रख देना चाहिए।
4-पिपलिकादि बलि - पिपलिकादि बलि में चींटी, कीड़े-मकौड़ों को भोजन कराया जाता है। इसके लिए भोजन का चूरा चींटी, कीड़े-मकौड़ो के बिल के आगे रखना चाहिए।
5- देव बलि – देव बलि का अर्थ देवताओं को भोज करना से है। इसके लिए देवताओं को पत्ते पर रख कर घर के बाहर दक्षिण दिशा में भोजन रख देना चाहिए।