Vaishno Devi Temple: माँ वैष्णो देवी ने किया भैरवनाथ का वध

Update: 2024-06-19 06:26 GMT
Vaishno Devi Temple: हिंदू धर्म में माता वैष्णो देवी Mata Vaishno Devi in ​​Hinduism सबसे पूजनीय देवी-देवताओं में से एक हैं. वह देवी दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं और त्रिदेवी (लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती) (Lakshmi, Saraswati and Parvati)का स्वरूप भी हैं. माता वैष्णो देवी की यात्रा भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थों में से एक है. माता वैष्णो देवी की यात्रा 13.5 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई है. यात्रा कटरा से शुरू होती है और भवन तक जाती है, जहां माता वैष्णो देवी की गुफा स्थित है. यात्रा के दौरान, श्रद्धालु कई पवित्र स्थानों पर रुकते हैं, जैसे कि अर्द्धकुमारी, पंचतरणी और भवानी माता. कहते हैं जो भी व्यक्ति माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरवनाथ के दर्शन किए बिना लौट आता है उसकी
मनोकामना पूर्ण
नहीं होती. क्या आप जानते हैं कि देवी वैष्णो ने ही भैरवनाथ का वध किया था, लेकिन कैसे और फिर उन्हें ये वरदान कैसे मिला कि मां वैष्णो देवी के दर्शन करने आए भक्त भैरवनाथ के भी दर्शन करेंगे ये बेहद रोचक कथा है.
माता वैष्णो देवी की पौराणिक कथा
पौराणिक कहानियों के अनुसार, एक बार मां वैष्णो देवी Mother Vaishno Devi के भक्तों ने नवरात्रि पूजन के लिए कन्याओं को बुलाया. माता रानी कन्या का रूप धारण कर वहां पहुंची. मां ने श्रीधर पंडित से गांव के सभी लोगों को भंडारे में आमंत्रित करने के लिए कहा. तब वैष्णवदेवी ने सभी को भोजन परोसना शुरू किया. भोजन परोसता समय कन्या भैरवनाथ के पास चली गयी. भैरोनाथ भोजन में मांस मंदिरा के सेवन की जिद करने लगा. कन्या ने उसे समझाने का प्रयास किया. भैरोनाथ क्रोधित हुआ और वो कन्या को बंदी बनाना चाहता था. भैरवनाथ जैसे ही ये प्रयास करता उससे पहले ही वायु रूपी माता त्रिकुटा पर्वत की ओर उड़ चली.
इसी पर्वत की गुफा mountain cave में पहुंचकर माता ने नौ महीने तक तपस्या की और उस समय हनुमान जी अपनी माता की रक्षा के लिए उनके साथ थे. भैरोनाथ भी उनका पीछा करते करते गुफा में पहुंच गया. तब वैष्णो देवी ने मां दुर्गा का रूप धारण किया और भैरवनाथ का संहार किया. वध के बाद भैरवनाथ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उससे क्षमा मांगी.
माता ने न सिर्फ उसे क्षमा किया बल्कि वरदान  Boonदेते हुए कहा कि जो भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आएंगे उनकी यात्रा भैरो के दर्शन के बिना पूरी नहीं होगी. तभी से उस स्थान पर भैरोनाथ का मंदिर Bhairavnath Temple स्थापित हुआ.
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