मासिक शिवरात्रि : आज मासिक शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा

Update: 2024-09-01 01:45 GMT
मासिक शिवरात्रि : हिन्दू धर्म में भादो की मासिक शिवरात्रि पर्व का बहुत महत्व होता है. यह व्रत हर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से और व्रत को रखने से सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है और लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है. अगर आप मासिक शिवरात्रि का व्रत रख रही हैं तो भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष विधि से पूजा-अर्चना करें. इससे आपको पूजा पुण्यफल अवश्य प्राप्त होगा.
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर रविवार को तड़के सुबह 3 बजकर 40 मिनट से शुरू हो गई है और 2 सितंबर सोमवार को सुबह 5 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि का व्रत 1 सितंबर रविवार को रखा जा रहा है.
शुभ योग और नक्षत्र
भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सुबह से लेकर शाम को 5 बजकर 50 मिनट तक परिघ योग रहेगा. उसके बाद से शिव योग है. जो 1 सितंबर को सुबह से लेकर रात 9 बजकर 49 मिनट तक अश्लेषा नक्षत्र है और उसके बाद से मघा नक्षत्र है. भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि की पूजा के लिए 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक निशिता मुहूर्त है. हालांकि दिन में कभी भी पूजा की जा सकती है.
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
पूजा स्थल: एक साफ स्थान पर चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं.
शिवलिंग की स्थापना: चौकी पर शिवलिंग स्थापित करें.
शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं और बेल पत्र चढ़ाएं.
शृंगार: शिवलिंग को फूलों और चंदन से सजाएं.
दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप दें.
नैवेद्य: शिवलिंग को फल और मिठाई का भोग लगाएं.
मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ महादेवाय नमः’ आदि मंत्रों का जाप करें.
कथा सुनें: शिव पुराण या शिव महापुराण की कथा सुनें.
मासिक शिवरात्रि की पूजा सामग्री
शिवलिंग: मिट्टी या धातु का शिवलिंग
पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और पानी
बेल पत्र: शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए
फूल: धतूरा, बेल, मोगरा आदि
चंदन: तिलक लगाने के लिए
दीपक: घी का दीपक
धूप: अगरबत्ती या धूप
नैवेद्य: फल, मिठाई आदि
रुद्राक्ष की माला: जप के लिए
मासिक शिवरात्रि पर क्या करें
शिव पूजन: भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। शिवलिंग का अभिषेक करें, बेलपत्र चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें.
व्रत रखें: यदि संभव हो तो निर्जला व्रत रखें.
शिव मंदिर जाएं: यदि संभव हो तो शिव मंदिर जाकर दर्शन करें.
शिव पुराण पढ़ें: शिव पुराण का पाठ करें या सुनें.
दानी बनें: जरूरतमंदों को दान करें.
शिव भजन गाएं: भगवान शिव के भजन गाएं.
ध्यान करें: शिव ध्यान करें.
मासिक शिवरात्रि पर क्या न करें
अशुद्ध भोजन: मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन न करें.
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचें.
गुस्सा करना: गुस्सा करने से बचें.
किसी का अपमान न करें: किसी का अपमान न करें.
मन में नकारात्मक विचार न लाएं: मन को शांत रखें और सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करें.
तर्क-वितर्क न करें: बेकार के वाद-विवाद से बचें.
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय में एक ब्राह्मण नाम का श्रद्धालु अपने गांव में रहता था. उसकी पत्नी बहुत धार्मिक थी और वब हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि व्रत करती थीं. अपनी पत्नी की आदतों को देखकर ब्राह्मण ने यह व्रत करने लगा. एक बार मासिक शिवरात्रि के दिन ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने भगवान शिव की पूजा संगीत सहित की और उनके चरणों में अपनी भक्ति प्रकट की. उन दोनों ने पूरे श्रद्धा भाव से व्रत किया और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा कि वे सदैव उनपर अपनी कृपा बनाए रखें.
व्रत रखने के बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांव के पथिकों को बुलाया और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा दी. इसी दिन को भिक्षाटनी भी कहते हैं, जिसमें भक्त अपने अच्छूत और पवित्र भाग्य को दूसरे लोगों के साथ साझा करता है. उसी समय, गांव में एक बहुत गरीब ब्राह्मण आया जो बहुत ही दीन और दुखी था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने उसे भोजन करने के लिए बुलाया और उसे भगवान शिव की कृपा से पूर्ण हुआ भोजन खाने को दिया.
इस प्रकार मासिक शिवरात्रि व्रत करने से ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने न सिर्फ अपना अच्छूत साझा किया, बल्कि दुखी लोगों को भी अपने साथ भोजन कराने का सौभाग्य प्रदान किया. इसके बाद उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो गईं.
मासिक शिवरात्रि का महत्व
ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन पूरे विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है. साथ ही संतान प्राप्ति, रोगों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन उपवास किया जाता है. यह व्रत क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान आदि जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाने में भी मदद करता है. इसके अलावा मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही रुकावट भी दूर हो जाती है.
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