Religion धर्म-अध्यात्म :सावन का महीना हिन्दू पंचांग में विशेष महत्व रखता है। यह माह आषाढ़ और श्रावण मास के बीच होता है और इसे भगवान शिव का माह माना जाता है। इस समय भगवान शिव की पूजा, व्रत और त्योहार विशेष रूप से मनाए जाते हैं। सावन में शिवजी के भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से उनकी आराधना करते हैं और उनके लिए विशेष प्रार्थनाएं करते हैं। इस महीने में श्रावण सोमवार का विशेष महत्व होता है, जब भक्त अपने इष्ट देवता की आराधना करते हैं। कांवड़ यात्रा भी इस महीने में शिव मंदिरों की ओर अपने भक्तिभाव से निकलते हैं। सावन का महीना भारतीय समाज में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में माना जाता है और लोग इसे ध्यान और पूर्ण भक्ति से मनाते हैं।
सावन माह के महत्व :
1. धार्मिक महत्व
सावन माह में धार्मिक महत्व बहुत उच्च माना जाता है, खासतौर पर हिन्दू धर्म में। इस महीने में भगवान शिव की पूजा, व्रत और अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान शिव के पावन ध्यान में लगने से उनके भक्त अपने मानसिक और आध्यात्मिक संवेदना को मजबूत करते हैं। सावन में शिवजी की अराधना का विशेष उत्सव होता है, जिसमें भक्तगण नीर का अभिषेक करते हैं और उनके लिए विशेष प्रार्थनाएं करते हैं। श्रावण सोमवार को भी विशेष महत्व दिया जाता है, जब भगवान शिव के विशेष पूजन का दिन माना जाता है।
2. श्रावण सोमवार
श्रावण माह में सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है, जिसे 'श्रावण सोमवार' के रूप में जाना जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और शिव भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग इस दिन शिवलिंग की स्थापना करते हैं और नीर का अभिषेक करते हैं। इस दिन को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और उनकी आराधना में लगने का शुभ माना जाता है। श्रावण सोमवार को भगवान शिव की विशेष प्रसन्नता के लिए महत्वपूर्ण रूप से माना जाता है और श्रद्धालु इस दिन को ध्यान, पूजा और भक्ति से गुजारते हैं।
3. कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा सावन महीने में होती है, भगवान शिव के भक्तों की धार्मिक यात्रा। यात्री गंगा के जल को लेकर चलते हैं, शिव मंदिरों में अर्चना और पूजा करते हैं। यह यात्रा भारत में विशेष महत्व रखती है, सामाजिक एकता और धार्मिक अहमियत को दर्शाती है। सावन के महीने में शिव भक्ति में लीन रहने का समय, कांवड़ यात्रा हमें धार्मिकता की ओर आकर्षित करती है।
4. सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियाँ
सावन महीने में सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियाँ विभिन्न तरीकों से मनाई जाती हैं। इस महीने में लोग शिव भक्ति में लीन रहते हैं और उनके लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शिवरात्रि के दिन भी भगवान शिव की पूजा की जाती है और भजन-कीर्तन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।सामाजिक रूप से, इस महीने में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक मेले और उत्सव होते हैं, जिनमें स्थानीय गाने, नृत्य और परंपरागत खानपान की व्यवस्था होती है।
5. वैदिक परंपरा में महत्व
वैदिक परंपरा में सावन महीने का महत्व विशेष है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा और अराधना विशेष रूप से की जाती है, जिसे शिवरात्रि कहा जाता है। वैदिक ग्रंथों में भगवान शिव को सर्वोच्च देवता माना गया है और सावन में उनकी पूजा का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में लोग व्रत रखते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं। इस समय पर शिवाजी की कहानियां भी सुनाई जाती हैं, जो धार्मिक शिक्षा और परंपरा को मजबूत करती हैं।