बुध के वक्री होने से व्यापार में आएगा उछाल और कीमतों में होगी वृद्धि

ध देव आज 14 अक्टूबर को तुला राशि में वक्री चाल चलेंगे और फिर 3 नवंबर को मार्गी होंगे। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का वक्री अवस्था में फल अच्छा नहीं माना जाता है।

Update: 2020-10-14 05:52 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| बुध देव आज 14 अक्टूबर को तुला राशि में वक्री चाल चलेंगे और फिर 3 नवंबर को मार्गी होंगे। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का वक्री अवस्था में फल अच्छा नहीं माना जाता है। नवग्रहों में राजकुमार यानि बुध को एक तटस्थ ग्रह माना जाता है परंतु विभिन्न ग्रहों से युति के कारण इसके फलों में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। बुध ग्रह सौरमंडल के 9 ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य के करीब है। बुध ग्रह की गतिविधियां लोगों के जीवन में काफी मायने रखती है। कुंडली में बुध ग्रह की अच्छी स्थिति व्यक्ति को तार्किक क्षमता देती है, इसके प्रभाव से व्यक्ति गणितीय विषयों में अच्छा प्रदर्शन करता है। बुध के वक्री होने से व्यापार में उछाल आएगा और कीमतों में वृद्धि होगी।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इससे पहले बुध ने तुला राशि में 22 सितंबर को प्रवेश किया था, अब ये इसी राशि में ही वक्री होने जा रहे हैं। बुध 14 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 30 पर तुला राशि पर गोचर करते हुए वक्री हो रहे हैं, पुनः 3 नवंबर की रात्रि 11 बजकर 15 पर इसी राशि पर भ्रमण करते हुए मार्गी होंगे। बुध की इस उल्टी चाल का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कोई भी ग्रह अपनी उल्टी चाल में उतने अच्छे फल नहीं देता है जितने की वह सीधी चाल में देता है। किसी भी राशि में ग्रह का वक्री होने अच्छा नहीं माना जाता, हालांकि कुंडली में स्थिति के अनुसार यह लाभप्रद भी होता है। वक्री होने का मतलब है कि अब बुध तुला राशि में उल्टी चाल चलेंगे। बुध के खराब परिणामों में फैसला लेने की क्षमता न होना, सिर दर्द, त्वचा आदि के रोग हो सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अच्छा है तो आपको वाणी, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क में लाभ मिलता है।

बुध ग्रह हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। वहीं सप्ताह में इसका दिन बुधवार माना गया है साथ ही इस दिन के और इस ग्रह के कारक देव श्री गणेश जी माने जाते हैं। बुध ग्रह शुभ ग्रहों (गुरु शुक्र और बली चंद्रमा) के साथ होता है तो यह शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों (मंगल केतु शनि राहु सूर्य) की संगति में अशुभ फल देता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। कन्या इसकी उच्च राशि भी है जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। 27 नक्षत्रों में बुध को अश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। हिन्दू ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि तर्क संवाद गणित चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं।


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