7 जुलाई को है बुध प्रदोष व्रत, यहां पढ़े व्रत कथा

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है.

Update: 2021-07-02 13:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस व्रत को शास्त्रों में बहुत कल्याणकारी व्रत बताया गया है. एकादशी की तरह ये व्रत भी महीने में दो बार रखा जाता है. ये व्रत महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है

जुलाई के महीने में पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई 2021 दिन बुधवार को पड़ रहा है. बुधवार को ये व्रत पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा. सप्ताह के अलग अलग दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व भी भिन्न हो जाता है. यहां जानिए दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व और कथा.
1. सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शुभ कार्यों के व्यवधान दूर होते हैं.
2. मंगलवार के दिन व्रत रखने से बीमारियों से राहत मिलती है और मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं.
3. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से घर के बच्चों की सेहत बेहतर रहती है और उन्हें कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है.
4. बृहस्पतिवार को व्रत रखने से दुश्मनों का नाश होता है और पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होता है.
5. शुक्रवार को व्रत रखने से शादीशुदा जिंदगी एवं भाग्य अच्छा होता है. दरिद्रता का नाश होता है.
6. शनिवार को व्रत रखने से संतान प्राप्त होती है, मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है और शनि संबन्धी दोष दूर होते हैं.
7. रविवार के दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत व उम्र लम्बी होती है. समाज में मान सम्मान और यश बढ़ता है.
ये है व्रत कथा
एक पुरुष की नई-नई शादी हुई. वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लेने ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के दिन पत्नी को लेकर अपने नगर जाएगा. परिवार के सभी सदस्यों ने उसे बुधवार को ले जाने के लिए मना किया, लेकिन वो नहीं माना. आखिरकार सास-ससुर ने जमाता और पुत्री को भारी मन के साथ विदा कर दिया. दोनों पति और पत्नी बैलगाड़ी से घर के लिए चल पड़े. जैसे ही वे नगर के बाहर पहुंचे पत्नी को जोर से प्यास लगी और उसने पति से पानी पीने के लिए कहा. पति पानी का लोटा लेकर गया, लेकिन जब वो वापस लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये पुरुष के साथ खड़ी होकर लोटे से पानी पी रही है और हंस कर बात कर रही है. देखने में वो पुरुष ​हूबहू उसके जैसा है. ये देखकर महिला का पति पहले तो आश्चर्यचकित हो गया, फिर उस व्यक्ति के पास जाकर झगड़ा करने लगा. धीरे-धीरे वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. इतने में एक सिपाही भी आ गया.
सिपाही ने स्त्री से पूछा कि बताओं दोनों में से तुम्हारा पति कौन सा है. स्त्री संशय में थी क्योंकि दोनों हमशक्ल थे, इसलिए वो चुप रही. बीच राह में पत्नी को इस तरह चुप देखकर उसका पति मन ही मन शंकर भगवान की प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मुझे और मेरी पत्नी को इस मुसीबत से बचा लो. मैंने बुधवार के दिन अपनी पत्नी को विदा कराकर जो अपराध किया है उसके लिये मुझे क्षमा करो. दोबारा कभी ऐसी भूल नहीं करूंगा. उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान को तरस आ गया और उसी क्षण दूसरा पुरुष कहीं अंर्तध्‍यान हो गया. इसके बाद वो पुरुष अपनी पत्नी के साथ सकुशल अपने नगर को पहुंच गया और उसने व उसकी पत्नी ने नियम पूर्वक प्रदोष का व्रत रखना शुरू कर दिया.


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