महिलाओं में मासिक धर्म, इंद्र देवता के पाप की वजह से होता है, जानिये पुराण में वर्णित कथा
धर्म अध्यात्म: मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा पूजा पाठ करने, पूजा स्थल पर जाने या रसोई का काम करने को लेकर लगभग हर धर्म में कुछ ना कुछ पाबंदियां लगाई गयी हैं। कुछ धर्म तो मासिक धर्म को इतना अपवित्र मानते हैं कि महिला को घर से अलग रखते हैं। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारणों पर डिबेट होनी लगती है। खैर, अगर हिन्दू धर्म की बात करें तो मासिक धर्म के पीछे एक रोचक कथा है जो भागवत पुराण में वर्णित है। आइये जानते हैं क्या है वो कथा- मासिक धर्म से जुडी इंद्र देवता की कथा भागवत पुराण के अनुसार एक बार देवताओं के गुरु बृहस्पति इंद्र से नाराज थे। उसी दौरान असुरों ने आक्रमण कर दिया। इंद्र ब्रह्मा के पास गए। ब्रह्मा ने कहा किसी ब्रह्म ज्ञानी की सेवा करो तो समाधान निकलेगा। इंद्र ऐसे एक ब्रह्म ज्ञानी की सेवा करने लगे। श्रावण मास में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं जीवन के सारे कष्ट इंद्र को लगा ब्रह्म हत्या का पाप ब्रह्म ज्ञानी को असुरों की पूजा करते देख इंद्र गुस्सा हो गए और ब्रह्म ज्ञानी की हत्या कर दी। इससे इंद्र के ऊपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से छुटकारा पाने के लिए इंद्र भगवान विष्णु के पास गए। विष्णु ने कहा या तो पाप का फल भोगो या फिर अपने पाप को किसी के साथ बाँट लो। इंद्र ने सबसे निवेदन किया फिर अंततोगत्वा पेड़, नदी, पृथ्वी और स्त्री - इन चारों ने इंद्र के ब्रह्म हत्या का पाप आपस में बांटने के लिए तैयार हो गये। इसी पाप के कारण नदी के पानी में झाग बनता है, पेड़ के तने से रस रिसता है, धरती का कुछ भाग बंजर हो गया और स्त्री को हर महीने मासिक धर्म होने लगा। पुराण की इस कथा के अनुसार जब स्त्री को मासिक धर्म होता है तो उस वक्त वो ब्रह्म हत्या का पाप ढो रही होती है। इस वजह से स्त्री को मंदिर में जाना, पूजापाठ करना, रसोई में जाना इत्यादि मना होता है।