गुरु पूर्णिमा पर बन रहे कई राजयोग, जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास की पूर्णिमा का शास्त्रों में विशेष महत्व वर्णित है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।

Update: 2022-07-11 04:46 GMT

आषाढ़ मास की पूर्णिमा का शास्त्रों में विशेष महत्व वर्णित है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों का ज्ञान था। इस साल गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाई जाएगी।

ग्रहों का शुभ संयोग-

आषाढ़ पूर्णिमा पर ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण कई राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस बार गुरु पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के शुभ संयोग से रुचक, शश, हंस और भद्र योग बन रहे हैं। मान्यता है कि गुरु पूजन से जातक की कुंडली में गुरु दोष व पितृदोष समाप्त होता है। गुरु पूजन से नौकरी, करियर व व्यापार में लाभ मिलने की मान्यता है।

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2022-

गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को सुबह करीब 4 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन गुरुवार, 14 जुलाई को देर रात 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। इन्द्र योग 13 जुलाई को दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा। चन्द्रोदय समय- 13 जुलाई, शाम 07:20 बजे। भद्रा सुबह 05 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक है। इस दिन का राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक है।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें-

इस दिन केसर का तिलक लगाना चाहिए और पीली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन गीता पाठ करना अति उत्तम माना गया है। इस दिन पिता, गुरु व दादा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।


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