Mangla Gauri Vrat , जानें तिथि पूजा विधि और महत्व

Update: 2024-06-30 13:32 GMT
Mangla Gauri Vratमंगला  गौरी व्रत : इस साल सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होने वाली है, और 19 अगस्त 2024 के दिन इसका समापन होगा। इस माह में भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस दौरान महादेव की पूजा के साथ-साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रिय भोग भी लगाएं जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह के हर दिन को महादेव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। हालांकि इस माह के प्रत्येक मंगलवार को मां गौरी की पूजा का विधान है। बता दें जहां सावन माह के सोमवार को महादेव की पूजा की जाती है, वहीं इस दौरान आने वाले हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। यह उपवास अखंड सुहाग, संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा आदि के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करना बेहद लाभदायक होता है।
मंगला गौरी का यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि इस उपवास को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली के योग बनते हैं। वहीं कुंवारी लड़किया भी ये उपवास रखती हैं, क्योंकि इससे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल कब से मंगला गौरी व्रत की शुरुआत हो रही है और पहला व्रत कब किया जाएगा।
कब कब रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत
पहला मंगला गौरी व्रत - 23 जुलाई 2024
दूसरा मंगला गौरी व्रत - 30 जुलाई 2024
तीसरा मंगला गौरी व्रत - 6 अगस्त 2024
चौथा मंगला गौरी व्रत - 13 अगस्त 2024
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। फिर आप एक चौकी लेकर उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। धीरे-धीरे उसपर मां गौरी की प्रतिमा और व्रत का सभी सामान रख दें। इसके बाद मां मंगला गौरी के समक्ष व्रत का संकल्प करें और आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। फिर मां गौरी की विधिनुसार पूजा करते हुए उन्हें फल-फूल आदि अर्पित करें। अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए पूजा समाप्त करें।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं का भी निवारण होता है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी का व्रत रखने से व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष दूर होता है। इस दौरान महादेव और मां पार्वती की पूजा एक साथ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मंगला गौरी पूजा के मंत्र
1. सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
2. ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा ।।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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