Mahalaxmi Ki Aarti: 29 सितंबर तक चलेंगे महालक्ष्मी के व्रत, जानें आरती विधि और महत्व

16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) की शुरुआत 14 सितंबर राधाअष्टमी (Radhaashtami) के दिन से हुई थी. कहते हैं मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) को प्रसन्न करने के ये सबसे अच्छे दिन होते हैं

Update: 2021-09-21 16:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mahalaxmi Aarti: 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) की शुरुआत 14 सितंबर राधाअष्टमी (Radhaashtami) के दिन से हुई थी. कहते हैं मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) को प्रसन्न करने के ये सबसे अच्छे दिन होते हैं. इन 16 दिनों में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना (Maa Laxmi Puja) और व्रत आदि रखा जाता है. माता की आरती की जाती है. मान्यता है कि ये 16 दिन व्रत सच्चे मन से पूजा पाठ करने और आरती करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं. आप पर उनका आर्शीवाद बना रहता है.

भाद्रपद मास (Bhadrapad Month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की अष्टमी से इन व्रतों की शुरुआत होती है और 29 सितंबर तक महालक्ष्मी जी के व्रत रखे जाएंगे. महालक्ष्मी व्रत रखने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है. ये दिन 16 दिन तक चलते हैं और इसे लगभग सभी विवाहित महिलाएं ही रखती हैं. कहते हैं कि अगर कोई सारे व्रत नहीं रख पाता तो वे शुरू के 3 व्रत या आखिरी के 3 व्रत भी रख सकता है.
हिंदू धर्म में पूजन के बाद आरती करने का प्रावधान है. देवी-देवताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उनकी आरती उतारी जाती है. बिना आरती के कोई भी पूजन अधूरा माना जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु कहते हैं कि जो मनुष्य घी की बत्तियों के दीपक प्रज्वलित करता है और आरती उतारता है वह कोटि क्लपों तक स्वर्गलेक में निवास करता है. इतना ही नहीं, श्री हरि ने कहा कि जो व्यक्ति मेरे समक्ष आरती करता है उसे परम पद की प्राप्ति होती है. उसी प्रकार महालक्ष्मी के व्रत में भी आरती की जानी महत्वपूर्ण होती है. पूजन के बाद महालक्ष्मी की आरती करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है. तो चलिए जानते हैं महालक्ष्मी की आरती.
महालक्ष्मी जी की आरती (Mahalaxmi Ji Ki Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता
मैया तुम ही जगमाता
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत
नारद ऋषि गाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता
मैया सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव
सब तुमसे आता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
।। मैया जय लक्ष्मी माता।।
मां महालक्ष्मी की जय


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