सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन धन की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद दिलाने वाला महालक्ष्मी व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ होकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर समाप्त हो जाता है इस बार यह व्रत आज यानी 22 सितंबर दिन शुक्रवार से आरंभ हो चुका है इसका समापन 6 अक्टूबर को हो जाएगा।
यह व्रत पूरे 16 दिनों तक चलता है इस दौरान भक्त देवी साधना में लीन रहते हैं माना जाता है कि महालक्ष्मी व्रत के दिनों में पूजा पाठ करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है लेकिन इस दौरान अगर पूजा के बाद भक्ति भाव से श्री लक्ष्मी सूक्तम् का पाठ किया जाए तो माता शीघ्र प्रसन्न होकर धन वर्षा करती है जिससे पैसों की कमी नहीं रहती है।
श्री लक्ष्मी सूक्तम्—
पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥
पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे।
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥
पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्।
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥
धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु।
धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥
वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्॥
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्।
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥
महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्।
चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते।
धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम् सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥
॥ इति श्रीलक्ष्मी सूक्तम् संपूर्णम् ॥