शिवरात्रि पर बरसेगी महादेव की विशेष कृपा, बस इस प्रकार करें शिवलिंग का अभिषेक

भगवान शंकर परम कल्‍याणकारी देवता माने गये हैं.

Update: 2021-08-01 12:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भगवान शंकर परम कल्‍याणकारी देवता माने गये हैं. श्रावण मास में शिव की साधना का शीघ्र फल प्राप्त होता है. भगवान शंकर की पूजा अत्यंत ही सरल है. वे इतने भोले हैं कि कोई भी व्यक्ति किसी भी विधान से उनकी पूजा कर लेता है. यही कारण है कि शिव के साधक अपनी अलग–अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए अपने आराध्य को अलग–अलग रूपों में पूजते हैं, उनका अभिषेक करते हैं. महादेव को प्रसन्न करने के लिए अनेकों व्रत एवं उपवास हैं, जिससे भोग, मोक्ष सरलता से प्राप्त हो जाता है, लेकिन इनमें शिवरात्रि को सर्वोत्तम माना गया है. इस शिवरात्रि भगवान शिव का पूजन करने से पहले जान लें कि किस चीज से बने शिवलिंग की पूजा से क्या मिलता है फल –

सबसे पहले बात करते हैं फूलों से बने शिवलिंग की, जिसे पूजने से भगवान शिव से भू–संपत्ति की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.

जौ, गेहूं और चावल के आटे को मिलाकर बनाए गये शिवलिंग का विधि–विधान से अभिषेक करने पर स्वास्थ्य, श्री और सुंदर संतान का आशीर्वाद मिलता है.

गुड़ से बनाए जाने वाले शिवलिंग की पूजा करने पर भगवान उत्तम खेती का वरदान देते हैं.

बांस जो तेजी से बढ़ने वाला पौधा होता है, उसके अंकुर को शिवलिंग का स्वरूप देकर पूजने पर भगवान शंकर से वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

चांदी से बने शिवलिंग का विधि–विधान से पूजन एवं अभिषेक करने पर धन–धान्य की प्राप्ति होती है.

दूर्वा को शिवलिंग का आकार देकर पूजने पर शिव कृपा से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.

यदि आप किसी रोग बहुत दिनों से पीड़ित चल रहे हैं तो आपको इस शिवरात्रि मिश्री से बने शिवलिंग का विशेष रूप से अभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग के इस स्वरूप की पूजा करने से शीघ्र ही आपको स्वास्थ्य लाभ का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

आंवले को पीस कर बनाए गये शिवलिंग की विधि–विधान से पूजा, रुद्राभिषेक आदि करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कपूर से शिवलिंग को बनाकर पूजने से शिव भक्ति और मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मोती से बनाए गये शिवलिंग का पूजन करने पर स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है.

ये भी पढ़ें – Sawan Somvaar Vrat 2021 : भगवान शिव की पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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