इस मंदिर में महिला रूप में विराजे हैं महादेव, जानिए सोलह श्रृंगार के राज

मथुरा और वृंदावन का नाम सुनते ही लोगों के मन में भगवान कृष्ण और राधारानी का खयाल आता है.

Update: 2021-03-01 08:58 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | मथुरा और वृंदावन का नाम सुनते ही लोगों के मन में भगवान कृष्ण और राधारानी का खयाल आता है. लेकिन आज हम आपको वृंदावन के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो श्रीकृष्ण का नहीं, महादेव का है. इस मंदिर में महादेव कृष्ण की गोपी के रूप में विराजे हैं और उनका महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार किया जाता है.

बताया जाता है कि ये विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव महिला के रूप में विराजे हैं. दूर-दूर से भक्त यहां महादेव के गोपी रूप के दर्शन करने आते हैं. इन्हें गोपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यहां मौजूद शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी. जानिए गोपेश्वर महादेव इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी.

ये है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार द्वापरयुग में एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ महारास किया था. इस मनोहर दृश्य का साक्षी हर देवी देवता बनना चाहता था. महादेव जो भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानते हैं, वे उनके महारास को देखने के लिए पृथ्वी लोक में आए तो उन्हें गोपियों ने शामिल नहीं होने दिया.

उन्होंने कहा कि इस महारास में सिर्फ महिलाएं ही शामिल हो सकती हैं. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें सुझाव दिया कि वे गोपी के रूप में महारास में शामिल हों और इसके लिए यमुना जी की मदद लें. यमुना जी ने महादेव के आग्रह पर उनका गोपी के रूप में श्रृंगार किया. इसके बाद महादेव गोपी रूप में महारास में शामिल हुए.

लेकिन इस रूप में कृष्ण भगवान ने उन्हें पहचान लिया और महारास के बाद स्वयं अपने आराध्य महादेव की पूजा की और उनसे इस रूप में ब्रज में रहने का आग्रह किया. तब राधारानी ने कहा कि महादेव के गोपी के रूप को गोपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाएगा. तब से लेकर आज तक गोपेश्वर महादेव के मंदिर में उनका महिला की तरह सोलह श्रंगार किया जाता है, इसके बाद ही पूजा अर्चना होती है. महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में भक्तों की खासी भीड़ जुटती है.

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