Mahabharat: धर्मयुद्ध महाभारत के समय क्रोध चरम पर आने से कई लोग हुए श्राप का शिकार, हुई कलियुग की शुरुआत
धर्मयुद्ध महाभारत में कई ऐसे पल भी आए, जिनमें क्रोध चरम पर आने से कुछ लोग श्राप का शिकार बन गए, जिनमें एक ने कलियुग की शुरुआत की नींव रखी तो कुछ का असर कलियुग तक नजर आता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mahabharat: मान्यता है कि जब पांडवों ने स्वर्ग लोक प्रस्थान किया तो सारा राज्य अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को सौंप दिया गया. राजा परीक्षित के शासन काल में प्रजा सुखी थी. एक बार राजा वन में शिकार खेलने गए तो वहां शमीक ऋषि दिखाई दिए. वह तपस्या में लीन थे और मौन धारण कर रखा था. राजा ने उनसे बोलने का प्रयास किया और ऋषि के न बोलने पर उन्होंने ऋषि के गले में मरा सांप डाल दिया. जब यह बात शमीक के पुत्र को पता चली तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि आज से 7 दिन बाद राजा की मृत्यु तक्षक सांप के डसने से हो जाएगी. राजा के जीवित रहते कलयुग में इतना साहस नहीं था कि वह हावी हो सके, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद कलियुग पृथ्वी पर हावी हो गया.
युधिष्ठिर ने दिया नारी जाति को श्राप
मां कुंती के बड़े पुत्र कर्ण की बात पांडवों से छुपाए जाने से आहत होकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण नारी जाति को श्राप दे दिया था, जिसके चलते आज भी माना जाता है कि महिलाओं के मन में कोई गूढ़ रहस्य नहीं छुपा रहता. मां के छिपाए रहस्य से युधिष्ठिर आपा खो बैठे. कर्ण के मृत्यु पर माता का विलाप अस्वाभाविक था. कुंती ने पांडवों को बताया कि कर्ण उनका जेष्ठ भाई है. सभी पांडव इस सुनकर दुखी हुए. युधिष्ठिर ने विधि पूर्वक कर्ण का अंतिम संस्कार किया. आहत होकर उन्होंने पूरी नारी जाति को श्राप दे दिया कि आज से कोई भी स्त्री किसी भी गोपनीय बात का रहस्य नहीं छुपा पाएगी.