नवरात्रि की महाअष्टमी आज, नोट करें विधि मुहूर्त आरती और मंत्र

Update: 2024-04-16 06:22 GMT
ज्योतिष न्यूज़ : आज यानी 16 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी है जिसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है कुछ लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं तो वही कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या का पूजन करते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा महाष्टमी पर मां गौरी की पूजा की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
 महागौरी की संपूर्ण पूजा विधि—
महाष्टमी के दिन माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है ऐसे में आज पूजा से पहले सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद सफेद और साफ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल की साफ सफाई करके मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद माता की प्रतिमा को स्थापित करें। देवी को रोली व कुमकुम का तिलक लगाएं। फिर सफेद पुष्प अर्पित कर मिष्ठान अर्पित करें और पंच मेवा व फल का भोग लगाएं। आज के दिन माता की पूजा करते वक्त उन्हें काले चने भी जरूर अर्पित करें इसके बाद देवी के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें और भूलचूक के लिए क्षमा भी मांगे।
 मां महागौरी की स्तुति
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
महागौरी का प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां महागौरी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
 मां महगौरी का स्तोत्र मंत्र
सर्वसंकटहन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्। ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्। डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्। वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
मां महागौरी का कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो। क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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