16 फरवरी को माघी पूर्णिमा, जानिए स्नान और दान का महत्व
हिंदू धर्म में माघ के महीने का विशेष महत्व होता है। माघ का महीना स्नान, ध्यान, जप, तप और दान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है।
हिंदू धर्म में माघ के महीने का विशेष महत्व होता है। माघ का महीना स्नान, ध्यान, जप, तप और दान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। बुधवार,16 फरवरी को माह मास की अंतिम पूर्णिमा है फिर इसके बाद फाल्गुन का महीना आरंभ हो जाएगा। इस पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था इस कारण से माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने की परंपरा है। इस दिन जो लोग किसी कारण से गंगा स्नान करने में अमसर्थ है वे लोग नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
माघी पूर्णिमा के ही दिन संत रविदासजी की जयंती मनाई जाती है। इस तिथि पर संत रविदास जी की पूजा अर्चना, शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और भजन कीर्तन कर संत रविदास को याद किया जाता है। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। संत रविदास का ' मन चंगा तो कठौती में गंगा' बहुत ही लोकप्रिय कहावत है। इसका अर्थ है अगर मन अच्छा और सकारात्मक है तो कठौती में ही गंगा जी अवतरित हो जाती है। संत रविदास जी हमेशा लोगों के उत्थान और भलाई के लिए संदेश देते रहे।
माघी पूर्णिमा पर क्या करें
सनातन धर्म में माघी पूर्णिमा पर स्नान, दान और पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ना और सुनना बहुत ही शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मीजी की पूजा और मां लक्ष्मीजी का जल से अभिषेक किया जाता है। इस दिन दान करने का भी महत्व होता है। कंबल, धन और अन्न का दान करना चाहिए। पूर्णिमा को सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके भगवान श्री हरि की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं।