भगवान विष्णु की आरती करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं,आइए जानते हैं आरती के नियमों के बारे में

आज गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है

Update: 2022-03-03 02:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज गुरुवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा के लिए समर्पित है. गुरुवार को विष्णु पूजा करने और व्रत रखने से पुण्य लाभ होता है. श्रीहरि की कृपा से कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है. आज गुरुवार को आप व्रत नहीं रख सकते हैं तो स्नान के बाद पूजा करें और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आरती करें. आरती (Aarti) करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं. नीचे भगवान विष्णु की आरती के बारे में बताया गया है. उससे पहले आरती के बारे में कुछ महत्वपूर्ण नियमों (Rules) को जान लें.

आरती करने के नियम
1. कभी भी आरती 5 या 7 मुख वाले दीपक से करना अच्छा माना जाता है. इसके लिए आप एक बड़े दीपक में 5 या 7 बत्ती लगाकर जला सकते हैं.
2. आरती करते समय घंटी और शंख जरूर बजाना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है.
3. आरती करते समय दीपक को एक बार भगवान के मुख की ओर, 4 बार पैरों की ओर, नाभि की ओर दो बार घुमाएं. फिर 7 बार पूरे शरीर के अंगों की ओर आरती का दीपक घुमाएं.
4. आरती के दीपक को थाली या आसन पर ही रखना चाहिए. आरती के बाद पानी से हाथ धोना चाहिए.
5. आरती के समय दीपक का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए. दीपक में घी या तिल के तेल उपयोग करें.

भगवान विष्णु जी की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे…

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे…

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे…

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे…

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे…


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