प्रभु श्री राम ने वानरराज सुग्रीव की गोद में सिर रख दिया, श्री राम ने उदित होते चंद्रमा को देख सबसे किया सवाल
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ramayan Story of Ravana Drowned in the Melody of Kinnar & Apsara: रावण को समझाने का उसकी पत्नी मंदोदरी ने लाख प्रयास किया कि सीता को लौटा कर अपनी लंका को सुरक्षित कर लीजिए किंतु रावण ने एक न सुनी और वह सीधे दरबार में जाकर अपने मंत्रियों से संभावित युद्ध की रणनीति का परामर्श करने पहुंच गया. दरबार में मंत्री पद पर सुशोभित राक्षसों ने लंबी चौड़ी डींगे मारते हुए कहा कि श्री राम के पास तो वानर रीछ आदि की सेना है जो वास्तव में राक्षसों का आहार हैं. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है इन लोगों को तो राक्षस यूं ही खत्म कर डालेंगे. इस पर रावण के पुत्र प्रहस्त ने अपने पिता को नीतिगत बात बताते हुए कहा कि इन राक्षसों का बल उस समय कहां चला गया था जब एक वानर आया और पूरी लंका को जला कर चला गया. उसने अपने पिता लंकाधिपति रावण से कहा कि वह श्री राम को सीता लौटा दें तो शायद युद्ध ही न हो. इससे रावण ने क्रोधित होते हुए प्रहस्त को फटकारा तो वह अपने घर को लौट गया. गोस्वामी तुलसीदास जी राम चरित मानस में लिखते हैं कि हित की बात किसी पर वैसे ही असर करती है जैसे मृत्यु शैय्या पर लेटे हुए रोगी पर दवा का कोई प्रभाव नहीं होता है. रावण पर प्रहस्त की बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह अपनी बीसों भुजाओं को देखता हुआ महल में चला गया. महल में सारे तनाव भूल कर सजी महफिल में पहुंचा जहां ताल पखावज और वीणा की ध्वनि के बीच किन्नर गाने लगे और अप्सराएं नाचने लगीं.