भगवान गौतम बुद्ध: 'सुख की नींद प्राप्‍त करने के लिए अच्‍छे बिस्‍तर नहीं इन चीजों का होना जरूरी है'

एक बार गौतम बुद्ध एक जंगल में पत्तों के आसन पर विराजमान थे।

Update: 2021-07-31 12:55 GMT

एक बार गौतम बुद्ध एक जंगल में पत्तों के आसन पर विराजमान थे। उसी समय उनका एक प्रिय शिष्य उनके पास आया और बड़े ही प्यार से पूछा, 'भंते, कल आप सुखपूर्वक सोए ही होंगे?' बुद्ध ने कहा, 'हां, कुमार, कल मैं सुख की नींद सोया।' पर भगवन! कल रात तो हिमपात हो रहा था और ठंड भी बहुत ज्यादा थी। शीत हवा तेजी से बह रही थी। आपके पत्तों का आसन तो एकदम पतला है, फिर भी आप कहते हैं कि आप सुख की नींद सोए।

बुद्ध बोले, 'अच्छा कुमार, मान लो, किसी गृहपति के पुत्र का कक्ष चारों तरफ से बंद हो और उसके पलंग पर चार अंगुल मोटा गद्दा बिछा हो, तकिया हो, ऊपर आरामदायक चादर हो और सेवा के लिए चार सेविकाएं तत्पर हों, तब क्या वह गृहपति पुत्र सुख से सो सकेगा?' 'हां, भंते, इतनी सुख-सुविधाएं हों तो उसे सुख की नींद आएगी ही।' यदि उस गृहपति पुत्र को रोग के कारण शारीरिक या मानसिक कष्ट हो, तो क्या वह सुख से सोएगा?' 'नहीं, भंते, वह सुख से नहीं सो सकेगा।' बुद्ध ने कहा, 'और यदि उस गृहपति पुत्र को द्वेष या मोह से उत्पन्न कोई शारीरिक या मानसिक कष्ट हो, तो क्या वह सुख से सोएगा?' 'नहीं भंते, वह सुख से नहीं सो सकेगा।'
तब बुद्ध ने कहा, 'कुमार! राग, द्वेष और मोह से उत्पन्न होने वाली मेरी जलन जड़-मूल से नष्ट हो गई है, इसी कारण शारीरिक या मानसिक किसी तरह का कोई कष्ट हो, उसकी अनुभूति न होने के कारण मुझे सुख की नींद आई थी। वास्तव में नींद को अच्छे आस्तरण (बिछावन) की आवश्यकता नहीं होती। तुमने तो सुना ही होगा कि सूली के ऊपर भी अच्छी नींद आ जाती है। सुखद नींद के लिए सुखद आस्तरण नहीं चित्त का शांत होना सबसे जरूरी है।

संकलन : डॉ. निर्मल जैन


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