शिवलिंग की तरह शालिग्राम भी है दुर्लभ, जानें इसके बारे में सब कुछ

शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है. इसकी पूजा में विशेष सावधानी बरतनी होती है

Update: 2021-11-29 10:07 GMT

शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है. इसकी पूजा में विशेष सावधानी बरतनी होती है. काले रंग का गोल और चिकना दिखने वाले पत्थर को शालिग्राम के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि जिस घर में यह मौजूद होता है, वहां विष्णु की विशेष कृपा होती है. साथ ही घर में खुशहाली का वातावरण बना रहता है. कहते हैं कि शालीग्राम की पूजा में विशेष सतर्कता बरतना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है. इतना ही नहीं इस दोष से खुशहाल जिंदगी भी बर्बाद हो जाती है. यदि आप भी आपने घर में शालिग्राम रखें हैं तो नीचे दिए कुछ खास बातों का जरूर ध्यान रखें.

रखें इन बतों का ध्यान
-शालिग्राम के केवल अपनी मेहनत की कमाई से खरीदकर घर में रखना चाहिए. इसे न तो किसी शादीशुदा व्यक्ति से लेना चाहिए और न ही किसी गृहस्थ को देना चाहिए. अगर कोई संत या पंडित इसे दे इसे लेकर घर में रख सकते हैं.
-अगर घर में शालिग्राम है और इसे पवित्रता से नहीं रख पा रहे हैं तो किसी मंदिर में या किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए. वर्ना घर से खुशहाली हमेशा के लिए चली जाती है.
-शालिग्राम पर अक्षत चढ़ाना निषेध माना गया है. इसलिए इस पर अक्षत नहीं चढ़ाएं. विशेष स्थिति में अक्षत को पीले रंग से रंगकर ही चढ़ाएं.
-शालिग्राम की पूजा नियमित तौर पर करनी चाहिए. शालिग्राम भगवान की पूजा का क्रम टूटने से अशुभ प्रभाव पड़ता है. शालिग्राम की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए.
मुक्तिनाथ में भी है शालिग्राम मंदिर
-धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मूर्तियों की पूजा की परंपरा बहुत पुरानी है. मूर्ती पूजा से पहले प्रतीक के तौर पर शिवलिंग, शंख, शालिग्राम की पूजा की जाती थी. शालिग्राम भी शिवलिंग की तरह ही दुर्लभ है. यह अधिकांश रूप से नेपाल में मिलता है. नेपाल का मुक्तिनाथ इलाका, काली गण्डकी नदी का इलाका इसके लिए प्रसिद्ध है. नेपाल के मुक्तिनाथ में शालिग्राम मंदिर भी है.


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