आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के रहस्यों के बारे में
ज्योतिष शास्त्र हिन्दू धर्म की प्राचीन विद्याओं में से एक है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र हिन्दू धर्म की प्राचीन विद्याओं में से एक है। ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के सही जन्मतिथि, समय, वार अथवा नक्षत्र में नवग्रहों की स्थिति के साथ-साथ कुछ विशेष गणनाओं के द्वारा ये पता लगाया जा सकता है कि, उसके जीवन में कब कौनसी घटना घटित होगी और कुछ खास रत्नों के द्वारा उसके जीवन में आने वाली परेशानियों का निवारण किया जा सकता है। वहीं हम आपको ज्योतिष शास्त्र के कुछ अनसूने रहस्य बताएंगे, जिन्हें आपने आज से पहले शायद सुना नहीं होगा। तो आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के रहस्यों के बारे में...
इस ब्रह्मांड में जो कुछ भी है, वह सब ईश्वर के द्वारा बनाया गया है और उन सभी चीजों का अपना एक अर्थ और कार्य है। उसी तरह नवग्रहों की रचना भी ईश्वर द्वारा की गई है। जोकि ब्रह्मांड में कुछ खास जगहों पर व्यवस्थित किए गए हैं।
ग्रहों में कोई दया या किसी को परेशान करने की भावना नहीं होती है। ये ग्रह तो केवल धनात्मक और ऋणात्मक किरणें ही उत्सर्जित करते हैं। अपने आप में ये किसी को हानि या लाभ नहीं पहुंचाते। प्रत्येक मनुष्य का जन्म उसके पिछले जन्मों में किए गए अच्छे या बुरे कर्मों के कारण एक खास दिन, समय, वार और नक्षत्र में होता है और उस समय, दिन, वार, नक्षत्र के साथ नवग्रहों की गणना करके उसके जीवन में कब कौनसी घटना घटित होगी इसका पता लगाया जा सकता है।
ज्योतिष में नवग्रहों की गणना के द्वारा बताया गया उसका भविष्य केवल उसके पिछले जन्मों में किए गए उसके कर्मों का हिसाब है, लेकिन इस जन्म में किए गए कर्मों का ग्रहों के पास कोई हिसाब नहीं होता है। उसका तो जन्म ही उसके पिछले जन्म में किए गए कर्मों और इच्छाओं के चलते ही होता है।
हमारे साधु-संतों ने मनुष्य के किए गए कर्मों के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिष विद्या का निर्माण किया है। जिसके द्वारा ग्रहों की गणना कर अपने पूर्व कर्मों के अच्छे और बुरे प्रभाव को जाना जा सकता है। तथा उसके बुरे प्रभाव को किसी खास साधना विधि के द्वारा या ग्रह शांति विधि या रत्नों को धारण करने से कम या खत्म किया जा सकता है।