आइए जानते हैं,पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों करते हैं?

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी​ तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाते हैं

Update: 2022-02-05 01:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की पंचमी​ तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाते हैं. इस दिन सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) होती है. इस वर्ष सरस्वती पूजा 05 फरवरी दिन शनिवार को है. वसंत पंचमी के दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और पीले वस्त्र पहनते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है, इसलिए वसंत पंचमी को पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. वसंत पंचमी के दिन से ही ऋतुराज वसंत का आगमन माना जाता है, पृथ्वी पर चारों ओर सरसों के पीले फूल खिले होते हैं, ऐसा लगता है मानों धरती ने पीली चारद ओढ़ रखी हो. पेड़ों पर नई कोपलें आने लगती हैं, प्रकृति में जैसे नए जीवन का संचार होता है. पीले रंग को समृद्धि एवं संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है.

वसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता (God Of Love) कामदेव (Kamdev) की भी पूजा होती है, उनकी कृपा से पृथ्वी पर प्रेम का संचार होता है. उनका एक नाम अनंग है यानी बिना अंगों वाले. इसका अर्थ यह है कि कामदेव सभी जीवों में एक भाव स्वरूप में विद्यमान होते हैं. जिस वजह से सभी जीवों में काम एवं प्रेम की भावना होती है. इन सबके अलावा बड़ा प्रश्न यह है कि वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों करते हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में.

वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि की रचना होने के बाद सभी जीव पृथ्वी पर वास कर रहे थे, लेकिन चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. इस वजह से ब्रह्मा जी ने वाणी की देवी मां सरस्वती का आह्वान किया, तब मां सरस्वती प्रकट हुईं. माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ति​थि को माता सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, उस दिन वसंत पंचमी थी. इस वजह से हर वर्ष वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा की जाती है.
मां सरस्वती की कृपा से ही जीवों को स्वर प्राप्त हुआ, उन्हें वाणी मिली. सभी बोलने लगे. सबसे पहले मां सरस्वती के वीणा से ही संगीत के प्रथम स्वर निकले. वीणावादिनी मां सरस्वती कमल पर आसिन होकर हाथों में पुस्तक लेकर प्रकट हुई थीं. इस वजह से मां सरस्वती को ज्ञान एवं वाणी की देवी कहा जाता है.
वसंत पंचमी के विभिन्न नाम
वसंत पंचमी को अलग अलग नामों से जाना जाता है. वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा होती है, इस वजह से इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं. मां सरस्वती का दूसरा नाम वागीश्वरी भी है, इसमें वसंत पंचमी को वागीश्वरी जयंती भी कहा जाता है. वसंत पंचमी का एक नाम श्रीपंचमी भी है.


Tags:    

Similar News

-->