आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी व्रत और पूजा में कौन से काम नहीं करने चाहिए

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो चतुर्थी पड़ती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।

Update: 2022-03-31 08:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो चतुर्थी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस साल चैत्र माह की विनायक चतुर्थी 05 अप्रैल दिन मंगलवार को पड़ रही है। भगवान गणेश के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेशजी को समर्पित है। गणेश जी को सभी संकटों को दूर करने वाला और विघ्नहर्ता माना जाता है। भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता भी हैं। हिंदू धर्म में गणेश जी को सभी संकटों को दूर करने वाला और विघ्नहर्ता माना जाता है। चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, लेकिन गणेश जी की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है। आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी व्रत और पूजा में कौन से काम नहीं करने चाहिए....

गणेश जी की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा में जब आप कोई दीपक जलाते हैं, तो उसका स्थान बार-बार न बदलें और न ही उसे गणेश जी के सिंहासन पर रखें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना करने के बाद, तो उनको अकेला न छोड़ें, वहां पर कोई न कोई अवश्य होना चाहिए। इसके अलावा गणेश जी की पूजा और व्रत में मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहें। साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें।
गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आप गणेश जी के क्रोध के भागी बन सकते हैं। पौराणिक मान्यता है कि गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया था और अपनी पूजा से वर्जित कर दिया था।
विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान ध्यान रहे कि आप फलाहार में नमक का सेवन बिल्कुल भी न करें। साथ ही इस दिन काले वस्त्र न पहनें, काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात ये है कि विनायक चतुर्थी की पूजा के समय गणेश जी की स्थापना इस प्रकार करें कि उनकी पीठ का दर्शन न हो। मान्यता है कि पीठ का दर्शन करने से दरिद्रता आती है।


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