आइए जानें ,घरों में समृद्धि, धन और सद्भावना के लिए दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा कैसे करें

देवी लक्ष्मी की पूजा

Update: 2022-07-17 07:15 GMT

हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाने वाली दिवाली इस साल 4 नवंबर को मनाई जाएगी. दिवाली देवी लक्ष्मी को समर्पित एक उत्सव है. इस दिन उपासक समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं.

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए अधिकतर हिंदू परिवार अपने घरों और कार्यस्थलों को गेंदे के फूलों और अशोक, आम और केले के पत्तों से सजाते हैं. लक्ष्मी धन की देवी हैं और घरों में समृद्धि, धन और सद्भावना के लिए पूजा की जाती है. दिवाली के दिन कैसे करें देवी लक्ष्मी की पूजा आइए जानें.
देवी लक्ष्मी की पूजा ऐसे करें
पूजा की तैयारी
पूजा शुरू करने से पहले घर की अच्छी तरह से सफाई करें और सजाएं. पूजा की प्रक्रिया शुरू करने से पहले शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए पूरे घर में और परिवार के सभी सदस्यों पर गंगा जल छिड़कें.
पूजा चौकी लगाएं
एक चौकी की स्थापित करें जहां पूजा की जानी है. फिर चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर अनाज के दाने फैलाएं. हल्दी पाउडर से एक कमल बनाएं और उस पर देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखें.
कलश स्थापना
तांबे के बर्तन में तीन चौथाई पानी भरकर इसमें सिक्के, सुपारी, किशमिश, लौंग, सूखे मेवे और इलायची डाल दें. बर्तन के ऊपर आम के पत्ते गोलाकार में रखें और इसके बीच में एक नारियल रखें. कलश को सिंदूर और फूलों से सजाएं.
मूर्तियों को पवित्र स्नान
मूर्तियों को शुद्ध जल, पंचामृत, चंदन और गुलाब जल से स्नान कराना चाहिए. फिर इन्हें हल्दी पाउडर, चंदन का लेप और सिंदूर से सजाएं. इसके बाद मूर्तियों के चारों ओर माला और फूल चढ़ाए जाते हैं.
पूजा
लक्ष्मी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और फिर लक्ष्मी जी पूजा होती है. प्रसाद में आमतौर पर बादशा, लड्डू, सुपारी और मेवा, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, घर की रसोई में बने व्यंजन होते हैं. इसके अलावा कुछ सिक्के भी पूजा में रखें. मंत्र जाप के दौरान दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है और फूल चढ़ाए जाते हैं.
लक्ष्मी जी की कहानी पढ़ें
देवी लक्ष्मी की कहानी परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य द्वारा सुनाई जाती है, जबकि परिवार के बाकी सदस्य इसे बड़े ध्यान से सुनते हैं. कहानी के अंत में देवी की मूर्ति पर फूल चढ़ाए जाते हैं और मिठाई का भोग लगाया जाता है.
पूजा आरती
आखिर में आरती गाकर पूजा का समापन किया जाता है. फिर देवी से समृद्धि और धन की प्रार्थना की जाती है और प्रसाद के रूप में मिठाई का सेवन किया जाता है.

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