आइए जानते हैं,विजया एकादशी व्रत की पूजा विधि के बारे में

भगवान विष्णु की पूजा करने से कार्यों में सफलता और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होता है.

Update: 2022-02-24 01:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस वर्ष विजया एकादशी व्रत 26 फरवरी दिन शनिवार को है. 26 फरवरी को सुबह से ही सिद्धि योग लग रहा है, इसलिए आप सुबह में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा कर सकते हैं. विजया एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से कार्यों में सफलता और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होता है. भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को नरक लोक में जीवन मरण के चक्र से मुक्ति भी मिल जाती है. आइए जानते हैं विजया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि (Vrat And Puja Vidhi) के बारे में.

विजया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

1. विजया एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व यानी 25 फरवरी से सात्विक भोजन ग्रहण करें. तामसिक विचारों और भोजन से दूर रहें. व्रत के लिए तन, मन और वचन से शुद्धता को अपनाएं.
2. 26 फरवरी को प्रात: स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और विजया एकादशी व्रत एवं विष्णु पूजा का संकल्प करें. फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापना करें.
3. भगवान विष्णु को पीले फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, रोली, चंदन, केला, फल, पंचामृत, तुलसी का पत्ता, पान, सुपारी, हल्दी आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें.
4. उसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और विजया एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. एकादशी के दिन तुलसी पौधे की भी पूजा करें.
5. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती कपूर या घी के दीपक से करें. उस आरती को पूरे घर में लेकर जाएं. उसके बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.
6. आज के दिन दान करना भी उत्तम माना जाता है. आप किसी ब्राह्मण को अन्न, मिठाई, फल, वस्त्र, पुस्तक आदि का दान करें.
7. दिनभर फलाहार रखते हुए भगवत भजन करें और रात्रि जागरण करें. उसके बाद अगले दिन प्रात: भगवान विष्णु की पूजा करें.
8. इस विजया एकादशी व्रत का पारण दोपहर में करने का समय है. उचित समय पर पारण करके विजया एकादशी व्रत को पूरा करें.
9. व्रत वाले दिन घर में झाड़ू न लगाएं. घर के सदस्य मांस मदिरा का सेवन न करें. बाल और नाखुन न काटें.


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