आइए जानते हैं फूलेरा दूज के पूजा मुहूर्त, कथा और फूलों वाली होली की विधि के बारे में
फूलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंचांग के अनुसार, फूलेरा दूज फाल्गुन माह (Phalguna Month) के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल फूलेरा दूज 04 मार्च को है. भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) नाराज राधारानी (Radha Ji) और गोपियों को मनाने के लिए उनसे मिले और वहां पर फूलों की होली खेली गई. उस दिन फाल्गुन शुक्ल द्वितीया थी. इस दिन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी की विशेष पूजा होती है और दोनों के लिए फूलों वाली होली का आयोजन भी होता है. आइए जानते हैं फूलेरा दूज के पूजा मुहूर्त, कथा (Katha) और फूलों वाली होली की विधि के बारे में.
फूलेरा दूज 2022 पूजा मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आज रात 09:36 बजे लग रही है, यह 04 मार्च को रात 08:45 बजे तक है. 04 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग, शुभ योग एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है. शुभ योग तो प्रात:काल से ही है. ऐसे में आप राधाकृष्ण की पूजा सुबह स्नान के बाद कर सकते हैं.
फूलेरा दूज के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:56 बजे तक है. इस दिन आप इस मुहूर्त में कोई भी शुभ काम कर सकते हैं.
राधा श्रीकृष्ण की फूलों वाली होली की विधि
1. फूलेरा दूज के दिन प्रात:काल में स्नान आदि के बाद पूजा स्थान की सफाई कर लें. फिर गेंदा, गुलाब, हरश्रृंगार, पलाश, मालती, कुमुद के फूलों को लाएं. मालती का फूल राधारानी और श्रीकृष्ण दोनों को ही प्रिय है.
2. अब आप शुभ मुहूर्त में राधारानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. उनकी फूल, अक्षत्, फल, चंदन, रोली, कुमकुम, धूप, दीप, गंध आदि से पूजा करें.
3. इसके बाद राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण के लिए लाए गए फूलों से होली मनाएं. भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी पर फूल अर्पित करें. इस दौरान आप राधाकृष्ण के भजन गा सकते हैं या कोई गीत बजा सकते हैं.
4. राधारानी और श्रीकृष्ण सच्चे प्रेम के प्रतीक हैं. उनकी पूजा से आपके रिश्ते मजबूत होंगे, प्रेम भाव बढ़ेगा.
फूलेरा दूज कथा
बताया जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण काफी समय तक राधाजी और गोपियों से नहीं मिले, जिसकी वजह से वे सभी नाराज हो गईं. व्यस्तता के कारण ऐसा हुआ. जब श्रीकृष्ण को इस बात का ज्ञान हुआ, तो वे राधाजी और गोपियों से मिलने बरसाने गए.
वहां पर उन्होंने राधाजी पर फूल फेंके, तो राधाजी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल फेंके. यह देखकर गोपियां भी उन पर फूल फेंकने लगीं. इस तरह से राधाकृष्ण ने फूलों की होली खेली. उस दिन फाल्गुन शुक्ल द्वितीया थी. उसके बाद से हर साल इस तिथि को फूलों वाली होली खेली जाने लगी. इससे ही फूलेरा दूज का प्रारंभ हुआ.