आइए जानते हैं कलावा धारण करने की सही विधि के बारें में

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलावा धारण करने की परंपरा बहुत पुरानी है।

Update: 2022-03-30 08:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलावा धारण करने की परंपरा बहुत पुरानी है। आमतौर पर इसे किसी पर्व-त्यौहार और पूजा-पाठ के समय धारण किया जाता है। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि की अवधि में भी इस धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसे बनाने में तीन तरह के धागों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें लाल, पीले और सफेद रंग के धागे का इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि, इसके तीन धागे तीनों देव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक होते हैं।

हिन्दू धर्म में कलावे को रक्षा सूत्र के निमित्त धारण किया जाता है और यहीं कारण है कि, इसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है। माना जाता है कि, जो व्यक्ति कलावा को विधि विधान से धारण करता है, उसकी हर प्रकार के कष्टों से रक्षा होती है। तो आइए जानते हैं कलावा धारण करने की सही विधि के बारें...
धर्मशास्त्रों के मुताबिक, कलावा सूत का बना हुआ होना चाहिए। इसे मंत्रों के साथ ही बांधना चाहिए। साथ ही इसे किसी भी दिन पूजा के दौरान ही धारण करना चाहिए। लाल, पीला और सफेद रंग का बना हुआ कलावा सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं पुराने कलावे को किसी ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहां पर उसे किसी भी प्राणी का पैर ना लगे।
शिक्षा में सफलता और पढ़ाई में एकाग्रता के लिए नारंगीं रंग का कलावा धारण किया जाता है। इसके किसी भी गुरुवार के दिन धारण करना उत्तम माना जाता है।
वहीं विवाह संबंधी समस्या को दूर करने के लिए सफेद रंग का कलावा किसी शुक्रवार के दिन सुबह के समय धारण करना चाहिए। वहीं रोजगार और आर्थिक रुप से उन्नति के लिए नीले रंग का कलावा बांधना अच्छा माना जाता है। इसे किसी भी शनिवार को संध्या के समय धारण करना चाहिए। साथ ही इसे किसी बुजुर्ग व्यक्ति से बंधवाना चाहिए।
इसके अलावा नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए सूती कलावा या काले रंग का सूती धागा बांधना चाहिए। हालांकि इसे धारण करने से पहले मां काली के चरणों में इसे अर्पित करें और इसके साथ किसी अन्य धागे को ना बांधें।
हर प्रकार से रक्षा के लिए लाल, पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करना उत्तम माना जाता है।


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