आइए जानते हैं,सरस्वती पूजा से जुड़ी एक कथा जिसमें मां सरस्वती के प्रकाट्य होने का वर्णन
वसंत पंचमी मे कला की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरस्वती पूजा कल 05 फरवरी दिन शनिवार को है. इस दिन वसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व मनाया जाता है. वसंत पंचमी के अवसर पर विशेषकर स्कूलों में ज्ञान, वाणी एवं कला की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा (Saraswati Puja) की जाती है. सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana), मंत्र (Mantra) जाप एवं आरती (Aarti) से मां शारदा को प्रसन्न किया जाता है. सरस्वती पूजा से जुड़ी एक कथा है, जिसमें मां सरस्वती के प्रकाट्य होने का वर्णन मिलता है. सरस्वती पूजा के समय इस कथा का श्रवण करने से मां शारदा प्रसन्न होती हैं, ज्ञान, बुद्धि में वृद्धि के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं सरस्वती पूजा की कथा के बारे में.
सरस्वती पूजा कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना और भगवान विष्णु को पालनहार की जिम्मेदारी मिली हुई है. भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को मनुष्स योनी बनाने का सुझाव दिया. ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनी भी बना दी, इस प्रकार से सृष्टि की निर्माण कार्य हो रहा था.
एक दिन ब्रह्मा जी पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, उन्होंने सभी जीवों को देखा और अपनी रचना पर प्रसन्न हुए. हालांकि कुछ समय बाद उनको इस बात का एहसास हुआ कि पृथ्वी पर हर ओर शांति एवं सन्नाटा पसरा हुआ है.
तब उनको वाणी, ज्ञान एवं कला की देवी का विचार आया. उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और देवी का आह्वान करते हुए पृथ्वी पर छिड़क दिया. उसके प्रभाव से माता सरस्वती कमल आसन पर विराजमन होकर प्रकट हुईं. उनकी चार भुजाएं थीं, वे हाथों में पुस्तक, वीणा, माला धारण किए हुए आशीर्वाद दे रही थीं. ब्रह्मा जी ने उनको देव सरस्वती के नाम से पुकारा. इस प्रकार से उनका नाम देवी सरस्वती हुआ.
ब्रह्मा ने बताया कि इस सृष्टि में उनका प्रकाट्य जीवों को वाणी एवं ज्ञान देने के लिए हुआ है. तब माता सरस्वती ने अपने वीणा के तार से मधुर ध्वनि उत्पन्न की, फिर उससे जीवों को वाणी मिली. सभी जीव अपने स्वर में बोलने लगे. मां सरस्वती की कृपा से सृष्टि में अलग अलग प्रकार की मधुर ध्वनियां सुनाई देने लगीं. समय के साथ साथ वाणी से गीत और संगीत निकले.