जमाने के साथ अपने आप को बदलना सीख ले
ओशो रजनीश ने कई बार यह कहानी अपने प्रवचनों में सुनाई है।
ओशो रजनीश ने कई बार यह कहानी अपने प्रवचनों में सुनाई है। एक बार की बात है एक टोपी बेचने वाला अपने गांव से कस्बे में टोपी बेचने जाता था तो रास्ते में वह एक वृक्ष के नीचे रुककर खाना खाता और सुस्ताता था। एक बार वह जिस वृक्ष के नीचे सुस्ता रहा था उस वृक्ष के उपर कई सारे बंदर बैठे थे। उसके आराम करने के दौरान एक-एक करके बंदर वृक्षों से नीचे उतरे और सभी ने टोपी बेचने वाले की एक-एक टोपी पहन ली और पुन: वृक्ष पर चढ़ गए।
जब उस टोपी वाले की नींद खुली तो उसने देखा की मेरी सारी टोपी बंदरों ने पहन ली और वे सभी वृक्ष पर चढ़ गए हैं। वह यह देखकर चिंतित हो गया और बहुत देर सोचने के बाद उसे एक युक्ति समझ में आई। उसने अपनी टोपी अपने सिर पर से निकालकर नीचे फेंक दी। यह देखकर सभी बंदरों ने भी ऐसा ही किया और तब उस टोपी वाले ने सभी टोपियां बंटोरी और अपने काम पर चला गया।
बहुत सालों बाद जब वह टोपी वाला बूढ़ा हो गया तो यह कार्य उसका लड़का करने लगा। पहली बार जब लड़का कस्बे में टोपी बेचने जा रहा था तो उस टोपी वाले ने अपने अनुभव सुनाए और कहा कि रास्ते में बहुत उत्पाती बंदर रहते हैं। यदि बंदर तुम्हारी टोपी ले उड़े तो तुम अपनी टोपी निकालकर नीचे फेंक देना। बंदर तो नकलची होते हैं तुझे तेरी टोपियां वापस मिल जाएंगी।
बेटे ने बाप की सीख याद रखी। वह भी कस्बे में टोपी बेचने निकला। बाप की तरह उसने भी वृक्ष ने नीचे भोजन किया और भोजन करने के बाद आराम किया। कुछ देर के लिए झपकी लग गई तो उस वृक्ष पर बैठे सारे बंदर नीचे उतरे और वे सभी एक-एक टोपी पहनकर उपर चढ़ गए।
कुछ देर बाद टोपी बेचने वाले उस बेटे की नींद खुली तो उसने देखा की उसकी सारी टोपियां बंदर पहनकर मजे से पेड़ पर बैठे हैं। वह सोचने लगा की अब क्या करूं, तभी उसे अपने पिता की दी हुई सीख याद आई और उसने अपने सिर पर से टोपी निकाली और नीचे फेंक दी। यह देखकर एक बंदर जिसके पास टोपी नहीं थी वह तुरंत नीचे कूदा और वह उस टोपी को उठा ले गया और टोपी पहनते हुए बोला- तेरे बाप ने तुझे जरूर सिखाया होगा लेकिन हमारे बाप दादा भी हमें कुछ सीखा कर गए हैं।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी अनुभव काम नहीं आता या पुराने लोग जो कहकर गए हैं वह कोई पत्थर की लकीर नहीं है, क्योंकि जमाना रोज बदल रहा है तो जमाने के साथ आपको भी बदलना ही होगा। हर बार पुराने तरीके या नुस्खे काम नहीं।