ये 5 बाते सीखे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से

Update: 2023-08-08 18:32 GMT
रोज हम भगवान श्री राम की पूजा और आराधना करते हैं किन्तु कभी राम जी के गुणों को देखने की कोशिश नहीं करते हैं. भगवान राम विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे. उन्होंने वेदों और मर्यादा का पालन करते हुए सुखी राज्य की स्थापना की. स्वयं की भावना व सुखों से समझौता कर न्याय और सत्य का साथ दिया. फिर चाहे राज्य त्यागने, बाली का वध करने, रावण का संहार करने या सीता को वन भेजने की बात ही क्यों न हो. हमें भगवान राम से जरूर ये 5 बातें सिखनी ही चाहिए.
# आचरण : महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है. श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके आचरण में हम सदा पवित्रता को देख सकते हैं जो आज हमारे जीवन से गायब हो चुकी है. आज हम आचरण से मतलबी और झूठे हो चुके है. तो हमें अपना आचरण हो सकें तो भगवान राम के समान करने कि कोशिश करनी चाहिए.
# सहनशील व धैर्यवान : सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का एक और गुण है. कैकेयी की आज्ञा से वन में 14 वर्ष बिताना, समुद्र पर सेतु बनाने के लिए तपस्या करना, सीता को त्यागने के बाद राजा होते हुए भी संन्यासी की भांति जीवन बिताना उनकी सहनशीलता की पराकाष्ठा है.
3. माता की सेवा : माँ का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते हैं. माँ की सेवा ही सबसे बड़ा पूण्य होती है. भगवान राम जी ने अपने माता जी को हमेशा प्यार दिया, उनकी सेवा की. यही एक बात हम आज भूल गये हैं, माँ की सेवा हमारे जीवन से जैसे गायब ही हो चुकी है.
# बेहतर प्रबंधक : भगवान राम न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे. उनके इसी गुण की वजह से लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था.
# कर्म : श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके लिए दुनिया में कुछ भी करना संभव था किन्तु फिर भी इन्होनें अपने कर्म किये हैं.कई बार हम दुनिया में कर्म नहीं करना चाहते हैं बस बैठे-बैठे फल की इच्छा करते हैं. किन्तु हमें समझना चाहिए कि जब भगवान ने भी कर्म किये हैं तो हम क्यों उनको करने से डरते हैं.
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