जानें पौराणिक कथा, हनुमान जी ने कैसे धारण किया पंचमुखी अवतार

Update: 2023-08-22 09:23 GMT
धर्म अध्यात्म: पंचमुखी हनुमानजी की पूजा से हर संकट दूर होता है. भारत के कई प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में कुछ जगह आपको पंचमुखी हनुमान जी की मुर्ति भी देखने को मिलती है. उनके पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरुड़, तीसरा वराह, चौथा अश्व और पांचवां नृसिंह का है. कहते हैं हर मुख का अपना अलग महत्त्व है. अगर आप पहले वानर मुख की ओर ध्यान करके पूजा करते हैं तो इससे सारे दुश्मनों पर विजय मिलती है. दूसरे गरुड़ मुख से सारी परेशानियां दूर होती हैं. इसी तरह से अगर आप उनके तीसरे उत्तर दिशा के वराह मुख की ओर ध्यान करते हुए सच्चे दिल से पूजा करते हैं तो इससे आपको प्रसिद्धि, शक्ति और लंबी आयु मिलती है. जो लोग उनके चौथे नृसिंह मुख की ओर आराधना करते हैं उनकी मुश्किलें, तनाव और डर दूर होता है. आखिरी और पांचवें अश्व मुख की पूजा करने वालों की हनुमान बाबा सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. तो आइए जानते हैं श्रीराम के परम् भक्त हनुमान ने पंचमुखी अवतार कब और कैसे धारण किया था.
हनुमान जी का पंचमुखी अवतार कैसे हुआ?
एक प्रचलित कथा के अनुसार जब राणव को ये एहसास हुआ कि वो युद्ध में राम को नहीं हरा पाएगा तब उनसे अपने भाई अहिरावण से मदद मांगी कि वो अपनी किसी चाल से राम को यहां से ले जाए. तब अहिरावण ने माया जाल से श्रीराम की पूरी सेना को सुला दिया और राम-लक्ष्मण को बंधक बना लिया. बंधक बनाकर वो भगवान श्रीराम को और उनके साथ उनके भाई लक्ष्मण को अपने साथ पाताल लोक में लेकर चला गया. लेकिन विभीषण ने इस पूरी चाल के बारे मेंहनुमानजी को बताया और उनसे कहा कि वो पाताल लोक जाकर उन्हें छुड़ा लें.
पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी ने पाताल लोग में पंचमुखी अवतार धारण किया था, लेकिन क्यों... इसके पीछे ही वजह भी जान लें. दरअसल में कहते हैं कि हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण की तलाश में पाताललोक जा रहे थे तब वहां सबसे पहले उनका सामना मकरध्वज से हुआ जो उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहा था ऐसे में उन्होंने पहले उसे हराया और फिर आगे बढ़े लेकि आगे उन्हें अहिरावण से भिड़ना पड़ा. पौराणिक कथाओं के अनुसार अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला रखे थे क्यों कि उसे वरदान था कि जो भी यह 5 दीए एक साथ बुझा देगा वही उसका वध कर पाएगा. ऐसे में एक चेहरे से 5 दीये एक साथ बुझाना संभव नहीं था तब ऐसी परिस्थिति देख हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था. कहते हैं इन पंचमुखों से उन्होंने दीए बुझाकर अहिरावण का वध किया और तब जाकर वो भगवान श्रीराम और लक्ष्मण तक पहुंच पाए और उन्हें अहिरावण के बंधक के मुक्ति दिलायी
मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से आपकी हर तरह की समस्याओं का निवारण होता है. तो आप भी अगर हनुमान भक्त हैं और उनकी मुर्ति के सामने बैठकर पूजा करते हैं तो अब आप उनके पंचमुखी अवतार के सामने बैठकर पूजा भी कर सकते हैं इससे आपको और भी ज्यादा लाभ मिलेगा. लेकिन ध्यान रखें कि हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की स्थापना सदा दक्षिण दिशा में ही करें. पूजा के समय उन्हें लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें. इसके साथ गुड़ व चने का भोग लगाकर अगर आप मंगलवार के दिन सुंदरकाण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपकी मनोकामना जल्द पूरी हो सकती है. अगर आपके घर में वास्तु दोष है तो आप पंचमुखी हनुमान जी का चित्र घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में भी लगा सकते हैं इससे सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं.
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