जानें मूषक कैसे बना भगवान गणेश का वाहन?

हिंदू देवताओं में प्रत्येक देवता का अपना वाहन होता है. विष्णु जी का वाहन गरूड़, मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू, मां सरस्वती का वाहन हंस, शिव जी का वाहन नंदी बैल, मां पार्वती का वाहन बाघ है.

Update: 2022-08-23 13:22 GMT

हिंदू देवताओं में प्रत्येक देवता का अपना वाहन होता है. विष्णु जी का वाहन गरूड़, मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू, मां सरस्वती का वाहन हंस, शिव जी का वाहन नंदी बैल, मां पार्वती का वाहन बाघ है. सभी देवताओं के वाहन की अपनी-अपनी खासियतें हैं. जैसे सिंह का अर्थ है तेज गति वाला वाहन, बैल का अर्थ है समर्पित भक्त. लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान गणेश जी ने अपना वाहन मूषक क्यों चुना? पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि भगवान गणेश जी की मूषक सवारी होने के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है. आइए जानते हैं इसका राज.

पहली कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश जी का युद्ध गजमुखासुर नामक असुर से हुआ. गजमुखासुर को किसी भी अस्त्र से खत्म नहीं किया जा सकता था क्योंकि उसको वरदान मिला हुआ था. तब गजमुखासुर पर गणेश जी ने अपने एक दांत से वार किया.
इससे डर कर गजमुखासुर वहां से मूषक बनकर भागने लगा. लेकिन गणेश जी ने अपने पाश में उसे बांध लिया. इस पर गजमुखासुर ने गणेश जी से माफी मांगी. इसके बाद गणेश जी ने उसे अपना वाहन बनाकर नया जीवनदान दिया.
द्वापर युग में एक बलवान मूषक ने महर्षि पराशर के आश्रम में तोड़-फोड़ कर दी थी. ऋषियों के वस्त्र और ग्रंथों को भी कुतर दिया. इससे परेशान महर्षि पराशर गणेश जी से सहायता मांगने पहुंचे. इस पर गणेश जी मूषक को पकड़ने पहुंचे. गणेश जी ने पाश फेंका. मूषक पाश का पीछा करते हुए पाताल लोक पहुंच गया.



वहां से पाश उसे बांधकर गणेश जी के सामने ले गया. गणेश जी ने मूषक से कहा कि अब तुम मेरी शरण में हो, जो चाहे मांग सकते हो. इस पर मूषक ने कहा कि मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए. लेकिन, आप मुझसे कुछ मांग सकते हो. इस पर गणेश जी ने कहा कि तुम मेरा वाहन बन जाओ. इस तरह मूषक गणेश जी का वाहन बन गया.


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