परशुराम जयंती पर जानें भगवान की 6 रोचक बातें

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अक्षय तृतीया यानी बैशाख शुक्ल तृतीया को भगवान परशुराम का अवतार हुआ था।

Update: 2021-05-14 13:30 GMT

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अक्षय तृतीया यानी बैशाख शुक्ल तृतीया को भगवान परशुराम का अवतार हुआ था। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन ही हर साल परशुराम जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। ऐसा माना जाता है भगवान परशुराम धरती पर आज भी जीवित हैं। आज हम आपको भगवान परशुराम से संबंधित कुछ रोचत बातें बता रहे हैं।

भगवान परशुराम का जन्म
भगवान परशुराम माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि की चौथी संतान थे। शिव भक्ति के कारण इन्हें भगवान शिव से वरदान स्वरूप एक परशु मिला था। इसी कारण इनका नाम परशुराम पड़ा था।
अमर हैं भगवान परशुराम
हिंदू धर्म में 8 महापुरुषों का वर्णन है जिन्हें अजर-अमर माना जाता है। इनमें से एक भगवान विष्णु के आवेशावतार परशुराम भी हैं। अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
इस श्लोक में अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान जी, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम और ऋषि मार्कण्डेय अमर बताए गए हैं।।
श्री कृष्ण को सौंपा था सुदर्शन चक्र
त्रेता में भगवान राम ने ही परशुराम जी को द्वापर युग तक सुदर्शन चक्र संभालने की जिम्मेदारी दी थी। जब भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा पूरी हो गई तो परशुरामजी ने गुरु संदीपनी के आश्रम पर जाकर श्रीकृष्ण को उनका सुदर्शन चक्र सौंपा था, यह कहते हुए कि यह युग आपका है। पाप के भार से धरती फिर से दबी जा रही है, आप इसका उद्धार कीजिए।
फरसे से काटा था श्री गणेशजी का एक दांत
पुराणों के अनुसार, एक बार परशुराम जब भगवान शिव के दर्शन करने कैलाश पहुंचे तो भगवान शिव ध्यान में थे। तब श्री गणेश ने परशुराम जी को भगवान शंकर से मिलने से मना कर दिया। इस बात से क्रोधित होकर परशुराम जी ने फरसे से वार कर दिया और भगवान गणेश का एक दांत टूट गया, तभी से उन्हें एकदंत भी कहा जाता है।
क्षत्रियों का किया था 21 बार संहार
कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था, लेकिन यह पूरी तरह सत्य नहीं है। मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने क्षत्रियों के कुल हैहय वंश का समूल विनाश किया था।
माता का किया था वध
पिता की आज्ञा का मान रखने के लिए भगवान परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था। साथ ही बाद में पिता से ही वरदान मांगकर उन्होंने अपनी माता को पुन: जीवित कर लिया था।


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