श्रीकृष्ण के समय से खेली जा रही लट्ठमार होली, जानिए मथुरा-वृंदावन की इस बार का पूरा कार्यक्रम
मथुरा-वृंदावन की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | मथुरा-वृंदावन की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. वहां होली की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से हो जाती है और 40 दिनों तक ये उत्सव चलता रहता है. हर दिन अलग-अलग तरीके से होली खेलने का चलन है. लेकिन लोगों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है लट्ठमार होली. इस होली में शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. जानिए मथुरा के विभिन्न स्थानों पर खेली जाने वाली तमाम तरह की होली का पूरा कार्यक्रम और लट्ठमार होली की परंपरा से जुड़ी खास बातें.
16 मार्च 2021 रमणरेती आश्रम महावन पर टेसू फूल, केसर गुलाल होली
22 मार्च 2021 फाग आमंत्रण उत्सव, नंदगांव
22 मार्च 2021 लड्डू होली व होली की द्वितीय चौपाई, बरसाना
23 मार्च 2021 रंगीली गली में लट्ठमार होली, बरसाना
24 मार्च 2021 लट्ठमार होली, नंदगांव
25 मार्च 2021 लट्ठमार, रंग होली, गांव रावल
25 मार्च 2021 श्रीकृष्ण जन्मस्थान की सांस्कृतिक, फूलों की होली
25 मार्च 2021 श्री द्वारकाधीश मंदिर होली, मथुरा
26 मार्च 2021 छड़ीमार होली, गोकुल
28 मार्च 2021 होलिका दहन
28 मार्च 2021 फालैन में जलती हुई होली से पंडा निकलेगा
28 मार्च 2021 श्रीद्वारकाधीश मंदिर से होली डोला का नगर भ्रमण
29 मार्च 2021 श्रीद्वारकाधीश मंदिर में टेसू फूल, अबीर गुलाल होली
29 मार्च 2021 संपूर्ण जनपद मथुरा में अबीर-गुलाल, रंग होली
30 मार्च 2021 दाऊजी का हुरंगा, बलदेव
30 मार्च 2021 हुरंगा, जाव
30 मार्च 2021 हुरंगा, नंदगांव
30 मार्च 2021 गांव मुखराई में चरकुला नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम
31 मार्च 2021 हुरंगा, गांव बठैन
श्रीकृष्ण के समय से खेली जा रही लट्ठमार होली
मान्यता है कि लट्ठमार होली भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के समय से खेली जा रही है. दरअसल उस समय भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ होली खेलने के लिए बरसाना पहुंच जाया करते थे. उसके बाद वे राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करते थे. उनकी हरकतों से रुष्ट होकर राधारानी और उनकी सखियां कृष्ण और उनके सखाओं पर डंडे बरसाया करती थीं. उनके वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा ढालों और लाठी का प्रयोग करते थे.
धीरे-धीरे उनका ये प्रेमपूर्वक होली खेलने का तरीका परंपरा बन गया. तब से आज तक बरसाना और वृंदावन के बीच लट्ठमार होली खेली जाती है. पहले वृंदावन के लोग कमर पर फेंटा लगाकर बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने पहुंचते हैं, उसके अगले दिन बरसाना के लोग वृंदावन की महिलाओं के साथ होली खेलने जाते हैं. होली खेलने वाले पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिनें कहा जाता है.