अंतिम मंगला गौरी व्रत आज, जानिए इसका महत्व और पूजा मुहूर्त
आज सावन माह का अंतिम मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) है. मंगला गौरी व्रत सावन के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज सावन माह का अंतिम मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) है. मंगला गौरी व्रत सावन के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है. आज माता मंगला गौरी यानि देवी पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा का सुंदर संयोग बना है क्योंकि आज सावन का दूसरा प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भी है. आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भी लग रही है. प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय भगवान शिव की पूजा करते हैं. ऐसे में आज आप माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा करके दोनों व्रतों का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं आज के व्रत का महत्व और पूजा मुहूर्त के बारे में.
आज व्रत रखने के 5 लाभ
1. आज व्रत रखने और माता मंगला गौरी की पूजा करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का आशीष मिलेगा.
2. आज आप व्रत रखते हैं प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो आपको अरोग्य, अच्छी सेहत प्राप्त होगी और दुखों से मुक्ति मिलेगी.
3. मंगलवार को प्रदोष व्रत होने से वह भौम प्रदोष व्रत होता है. ऐसे में आज शिव आराधना करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी दूर हो जाएंगे. शिव कृपा से हर दोष दूर होता है.
4. मंगला गौरी की पूजा करने और कुछ आसान उपायों से मंगल ग्रह के दोष दूर होते हैं. विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूरी होती हैं.
5. आज आप व्रत रखते हैं और शाम के समय में माता मंगला गौरी के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो आपको दोनों व्रतों का पुण्य लाभ प्राप्त हो सकता है.
प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त
जिसे आज प्रदोष काल में पूजन करना है, वह शाम को 07 बजकर 06 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट के मध्य पूजन कर सकता है.
पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद आप व्रत और पूजा का संकल्प लें. फिर शाम के पूजा मुहूर्त में मिट्टी से भगवान शिव, गणेश जी और माता पार्वती की मूर्ति बना लें या इनकी तस्वीर रखें. इन्हें एक चौकी पर स्थापित कर दें. फिर सबसे पहले गणेश जी की अक्षत्, दूर्वा, फूल, कुमकुम, चंदन? धूप, दीप आदि पूजा करें.
उसके बाद भगवान शिव को भांग, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, सफेद फूल, गंगाजल, फल, अक्षत्, शहद आदि अर्पित करें. इसके बाद माता पार्वती को लाल फूल, फल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत्, चुनरी, 16 श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं. अब धूप, दीप, गंध आदि माता पार्वती और शिव जी को चढ़ाएं.
इसके पश्चात मंगला गौरी व्रत कथा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. फिर माता पार्वती, गणेश जी और शिव जी की आरती करें. फिर मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.