कुशोत्पाटिनी या शनिश्चरी अमावस्या आज, जाने पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

भाद्रपद माह की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी को कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना कहा जाता है। इस दिन अमावस्या पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुशा का उपयोग हिंदू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है।

Update: 2022-08-27 02:39 GMT

भाद्रपद माह की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी को कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना कहा जाता है। इस दिन अमावस्या पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुशा का उपयोग हिंदू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान आदि के लिए विशेष माना जाता है। यह तिथि दान-पुण्य, कालसर्प दोष निवारण के लिए भी महत्वपूर्ण है। भाद्रपद माह भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्री गणेश की आराधना का महीना होता है। इसलिए इस माह में आने वाली अमावस्या और पूर्णिमा दोनों का बड़ा महत्व है।

 पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सूर्य देव को अर्घ्य दें।

अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।

इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।

पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।

इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।

आज के शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:12 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:57 ए एम से 12:48 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:31 पी एम से 03:23 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:36 पी एम से 07:00 पी एम

अमृत काल- 05:51 पी एम से 07:34 पी एम

निशिता मुहूर्त- 12:00 ए एम, अगस्त 28 से 12:45 ए एम, अगस्त 28

 

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