जानिए होली के चार दिन बाद क्यों मनाते हैं रंगों का पर्व

आज देश भर में रंग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। होली के बाद यानी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को यह त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

Update: 2022-03-22 06:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज देश भर में रंग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। होली के बाद यानी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को यह त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। रंग पंचमी का पर्व होली के त्योहार का ही एक खास दिन होता है। होली का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है और पंचमी तिथि तक चलता है। पंचमी तिथि पर पड़ने के कारण ही इसे रंग पंचमी का पर्व कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष इस तिथि पर अबीर-गुलाल,हल्दी और चंदन के साथ ही फूलों से बने रंग आसमान में उड़ाने से राजसिक और तामसिक शक्तियों का प्रभाव कम होकर मन में सात्विक भाव आता है। इससे सभी देवी-देवता बहुत ही प्रसन्न होते हैं।

रंग पंचमी का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह दिन देवताओं को समर्पित होता है। ऐसा कहा जाता है कि रंग पंचमी के दिन रंगों के प्रयोग से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संवहन होता है। इसी सकारात्मक ऊर्जा में लोगों को देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है। वहीं सामाजिक दृष्टि से इस त्योहार का महत्व है। यह त्योहार प्रेम-सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है।
महाराष्ट्र में रंग पंचमी का विशेष महत्व
रंग पंचमी का त्योहार वैसे तो देश के हर एक हिस्से में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में रंग पंचमी का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें लोग सूखे गुलाल के साथ रंग खेलते हैं। इस दिन विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और मित्रों और रिश्तेदारों को दावत दी जाती है। नृत्य, गीत और संगीत के साथ यह उत्सव मनाया जाता है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी रंग पंचमी धूमधाम के साथ खेली जाती है।
रंग पंचमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार,कहा जाता है कि त्रेतायुग के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था। धूलि वंदन से आशय ये है कि 'उस युग में श्री विष्णु ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया। अवतार निर्मित होने पर उसे तेजोमय, अर्थात विविध रंगों की सहायता से दर्शन रूप में वर्णित किया गया है। होली ब्रह्मांड का एक तेजोत्सव है। ब्रह्मांड में अनेक रंग आवश्यकता के अनुसार साकार होते हैं और संबंधित घटक के कार्य के लिए पूरक व पोषक वातावरण की निर्मित करते हैं।
रंग पंचमी पर हवा में अबीर-गुलाल उड़ाने का महत्व
रंग पंचमी के दिन लोग हवा में अलग-अलग फूलों से सुगंधित अबीर-गुलाल को उड़ाते है। मान्यता है कि पंचमी तिथि पर रंगों के उत्सव से दैवीय शक्ति का असर ज्यादा होता है जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव बहुत ही कम हो जाता है। रंग पंचमी पर उड़ाए गए अलग-अलग रंगों से इकट्ठा हुए शक्ति के कण अनिष्ट शक्ति से लड़ते हैं। जिस कारण से मनुष्य के जीवन में दैवीय शक्तियों का प्रभाव बन रहता है और जीवन में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा रहती है।
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