जानिए क्यों इस बार राखी प्रदोष काल में बांधी जाएगी और क्या है इसका कारण

रक्षासूत्र से बंधा रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भाई और बहन के बीच प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाता है.

Update: 2022-07-21 06:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  रक्षासूत्र से बंधा रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भाई और बहन के बीच प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाता है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए सालभर इंतजार करती हैं. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर सुंदर-सुंदर राखियां बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती है. भाई अपनी बहनों को रक्षाबंधन पर उपहार देते हैं और उम्रभर उसकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं. हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त 2022 को श्रावण शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी. खास बात यह है कि इस साल बहनें अपने भाइयों को प्रदोष काल में राखी बांधेगी. 

रक्षाबंधन 2022 तिथि
दरअसल पंचांगों के अनुसार, गुरुवार 11 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 10:39 बजे से शुरू होगी, जोकि अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 7:06 बजे तक रहेगी. 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम समय रहने के कारण रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को ही मनाया जाएगा और राखी प्रदोष काल में ही बांधी जाएगी.
पंडितजी बताते हैं कि इस बार रक्षाबंधन पर 11 अगस्त को भद्रा सुबह 10:39 से रात 8:52 तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार, भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बांधी जाती है, इसलिए बहनें अपने भाइयों को 11 अगस्त रात 8:52 बजे के बाद राखी बांध सकेंगी.
रक्षाबंधन के लिए मुहूर्त
पंडितजी के अनुसार, इस बार राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम समय 11 अगस्त रात 8:53 से 9:15 बजे तक का होगा. इसमें प्रदोष काल के साथ-साथ श्रेष्ठ चौघड़िया भी विद्यामान रहेंगे. चार की चौघड़िया में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी. भद्रा के बाद चार की चौघड़िया रात 8:52 से 9:48 बजे तक होगी.
क्यों नहीं बांधी जाती भद्रा में राखी
हिंदू धर्म में भद्रा काल को किसी भी शुभ काम के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए भद्रा काल में राखी बांधना भी वर्जित होता है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाई थी. एक साल बाद ही रावण का विनाश हो गया, इसलिए बहनें अपने भाइयों को भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बांधती हैं.
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