जानिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है ईशान कोण

वास्तुशास्त्र में दिशाओं के अनुसार क्रिया-कलाप करने में हमेशा मनचाहे परिणाम प्राप्त होते हैं।

Update: 2022-07-17 04:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वास्तुशास्त्र में दिशाओं के अनुसार क्रिया-कलाप करने में हमेशा मनचाहे परिणाम प्राप्त होते हैं। आज बात करते हैं उत्तर-पूर्व दिशा की। उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को वास्तु में ईशान कोण कहा गया है। यह दिशा-क्षेत्र किसी भी ईमारत का सबसे पवित्र स्थान होता है जिसमें ईश्वर का निवास स्थान होता है। ऐसा माना जाता है कि घर के ईशान कोण को हमेशा साफ़ सुथरा रखना चाहिए जिससे घर में सुख-शांति,आरोग्य और लक्ष्मी का वास हो। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है और इनका स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में होता है। इसलिए घर में भी इस दिशा को मंदिर या पूजा के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। वास्तु के अनुसार इस स्थान के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

ईशान में क्या न करें-
वास्तु के अनुसार भूलकर भी घर के ईशान कोण में कोई भी भारी चीज नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस स्थान पर भारी चीज रख देते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार रुक जाता है जिससे आपको धन हानि हो सकती है। इसलिए इस स्थान पर भारी अलमारी, स्टोर रूम आदि बनाने से बचें।
घर की यह दिशा सबसे पवित्र मानी जाती है और यहां ईश्वर का वास माना जाता है। इसलिए कभी भी इस जगह पर जूते चप्पल या फिर कूड़ा कचरा इकठ्ठा न करें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में परेशानियां आने लगती हैं।
ईशान में क्या न करें-
घर के ईशान कोण में भूलकर भी आपको शौचालय नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।और आपकी जमापूंजी उपचार में खर्च होने लगती है।
घर के ईशान कोण में मुख्यरूप से नवविवाहित दंपत्ति का बेड रूम नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से आपसी रिश्तों में मन मुटाव होता है और व्यर्थ की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
ईशान कोण में क्या करें-
अगर आप घर की खुशहाली चाहते हैं तो आपको घर के ईशान कोण में पूजा का स्थान बनाना चाहिए। इस स्थान पर की गयी पूजा हमेशा ईश्वर को स्वीकार्य होती है और इससे घर की सुख समृद्धि भी बनी रहती है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए इस दिशा क्षेत्र को साफ़ सुथरा रखना चाहिए जिससे घर में नकारात्मकता ऊर्जा नहीं रहे।
यह स्थान हमेशा किसी जल के स्रोत जैसे कुआं, बोरिंग, मटका या फिर पीने के पानी के लिए सर्वोत्तम है। यदि आप नया घर बनवा रहे हैं तो घर के इसी कोने में बोरिंग की व्यवस्था करें,या भूमिगत पानी की टंकी बनवाएं।
इस दिशा को ध्यान की दिशा माना जाता है इसलिए बच्चों के पढ़ने का कमरा हमेशा ईशान कोण में ही होना चाहिए।इस दिशा में पढ़ाई करने से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
इस दिशा में तुलसी एवं केले का पौधा लगाकर इनकी नियमित पूजा करने से आपको आर्थिक लाभ भी होगा।
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